अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद उनके वास्तविक उत्तराधिकारी का नाम भी सामने आ गया है। मौत को गले लगाने के पहले महंत नरेंद्र गिरि ने जो सुसाइड नोट लिख छोड़ा है, उसमें उन्होंने अपने शिष्य बलबीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी बताया है। मरने के पहले उन्होंने लिखा कि उनकी अंतिम इच्छा यही है कि मठ बाघम्बरी गद्दी और बड़े हनुमान मंदिर का महंत बलबीर गिरी को बनाया जाये। वही इसके वास्तविक उत्तराधिकारी हैं। इसके लिए उन्होंने निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी महराज से अनुरोध करने हुए लिखा कि जो वह अब तक उनका सहयोग करते रहे हैं, इस इच्छा को भी जरुर पूरा करेंगे।
ये हैं उत्तराधिकारी बलवीर गिरि
बलबीर गिरि और आनंद गिरि करीब-करीब एक ही समय के दौरान महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य बने थे। बलबीर और आनन्द करीब 30 साल पुराने शिष्य हैं। महंत नरेंद्र गिरि ने बलबीर गिरि को हरिद्वार आश्रम का प्रभारी बनाया हुआ था। इन्हीं बलबीर गिरि को महंत नरेंद्र गिरि ने अपना उत्तराधिकारी भी घोषित किया है। एक समय ऐसा भी था कि बलबीर गिरि और आनंद गिरि महंत के सबसे करीब माने जाते थे लेकिन आनंद गिरि के निष्कासन के बाद बलबीर गिरि ही मठ का पूरा कामकाज संभाल रहे थे। किसी भी प्रमुख आयोजन या वार्ता में वह महंत नरेंद्र गिरि के साथ होते थे। वह मठ के साथ-साथ सारी निर्णयों में महंत के साथ होते थे।
पंच परमेश्वरों की की बैठक आज
माना जा रहा है कि अखाड़ा परिषद के पंच परमेश्वरों की बुधवार को दिन में होगी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरी ने बताया कि 23 सितंबर को 11 बजे महंत नरेंद्र गिरी जी को भू-समाधि दी जाएगी। गंगा जमुना सरस्वती के जल से उनको स्नान कराया जाएगा। माना जा रहा है कि गुरुवार को महंत नरेंद्र गिरि का अंतिम संस्कार होने के बाद बलबीर गिरि के नाम का औपचारिक ऐलान किया जाएगा।