विदेशी बाजारों में तेजी के बीच सरसों तेल (Mustard Oil) की कीमतों में शुक्रवार को पर्याप्त गिरावट देखी गई है. दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में तेल-तिलहनों के भाव (oilseeds prices) मिले जुले रुख के साथ बंद हुए. एक ओर जहां सरसों तेल-तिलहन और सोयाबीन दाना के भाव में गिरावट आई वहीं मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (CPO) और पामोलीन जैसे बाकी खाद्य तेलों के भाव (edible oil prices) सुधार दर्शाते बंद हुए. बाकी तेल तिलहन के भाव पहले की तरह रहे।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 3.55 प्रतिशत की तेजी रही, जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में फिलहाल 1.5 प्रतिशत की मजबूती है. सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में भारी सट्टेबाजी का माहौल है और वहां सीपीओ के भाव 3.5 प्रतिशत और मजबूत हुए है जबकि लिवाली एकदम कम है। तेल कीमतों पर अंकुश लगाने और तेल आपूर्ति बढ़ाने के लिए भारत के द्वारा शुल्क घटाये गये जबकि उसके बाद मलेशिया में भाव में रिकार्डतोड़ वृद्धि कर दी गई है जबकि लिवाल एकदम निचले स्तर पर हैं. जब हल्के तेलों और सीपीओ जैसे भारी तेल के भाव लगभग आसपास हो चले हैं तो फिर कोई सीपीओ क्यों खरीदेगा? उन्होंने कहा कि मलेशिया और इंडोनेशिया की मनमानी का उपभोक्ताओं को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सूत्रों ने कहा कि सीपीओ का भाव सोयाबीन तेल से 100-150 डॉलर प्रति टन नीचे रहा करता था लेकिन अब सीपीओ का भाव सोयाबीन से लगभग 10 डॉलर प्रति टन अधिक चल रहा है. सीपीओ के महंगा होने से लिवाल नहीं हैं और लोग हल्के तेलों में सोयाबीन और मूंगफली तेल की ओर अपना रुख कर रहे हैं।
तिलहन उत्पादन बढ़ाकर ही आएगी इंपोर्ट में कमी
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने शुल्क तो घटा दिए और अब उसके पास कौन सा रास्ता बचा है? सरकार विदेशी बाजारों की मनमानी और सट्टेबाजी को कैसे नियंत्रित करेगी? उन्होंने कहा कि देश में तिलहन उत्पादन बढ़ाकर ही आयात की निर्भरता को कम किया जा सकता है. इसके लिए सरकार को किसानों को प्रोत्साहन के साथ साथ लाभकारी मूल्य देना सुनिश्चित करना होगा तभी तिलहन के मामले में देश आत्मनिर्भरता की राह पर चल सकता है।
बढ़ती जा रही है सरसों तेल की मांग
सूत्रों ने कहा कि सरसों तेल की मांग बढ़ती जा रही है और अन्य तेलों से उसके भाव का जो लगभग 50 रुपये किलो का अंतर हुआ करता था वह अंतर काफी कम रह गया है. उन्होंने कहा कि सरसों में अभी एक डेढ़ महीने उठा पटक जारी रहेगी जब तक कि नयी फसल की आवक न हो जाए. फिलहाल सरसों तेल तिलहन के भाव पर्याप्त गिरावट के साथ बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि इस समय बाकी तेलों के मुकाबले मूंगफली सस्ता बैठता है और इसलिए हल्के तेलों में इसकी मांग बढ़ रही है जिसकी वजह से मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड के भाव में लगभग 50 रुपये क्विन्टल का सुधार आया. मूंगफली दाना और मूंगफली तेल गुजरात के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
सोयाबीन के तेल रहित खल (DOC) की मांग बेहद कमजोर रहने से सोयाबीन दाना (तिलहन) के भाव गिरावट के साथ बंद हुए. उन्होंने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज के तेज होने के कारण सीपीओ और पामोलीन के भाव में सुधार है. उन्होंने कहा कि सीपीओ के तेज होने तथा शिकागो एक्सचेंज की तेजी की वजह से सोयाबीन तेल कीमतों में भी सुधार आया. सूत्रों ने कहा कि सरकार को सरसों तेल में ब्लेंडिंग की निगरानी जारी रखनी होगी. सामान्य कारोबार के बीच बाकी तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
– सरसों तिलहन – 8,045 – 8,075 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये
– मूंगफली – 5,815 – 5,905 रुपये
– मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 13,000 रुपये
– मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,995 – 2,120 रुपये प्रति टिन
– सरसों तेल दादरी- 16,200 रुपये प्रति क्विंटल
– सरसों पक्की घानी- 2,410 -2,535 रुपये प्रति टिन
– सरसों कच्ची घानी- 2,590 – 2,705 रुपये प्रति टिन
– तिल तेल मिल डिलिवरी – 16,700 – 18,200 रुपये
– सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,450 रुपये
– सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,150 रुपये
– सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,010
– सीपीओ एक्स-कांडला- 11,800 रुपये
– बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,350 रुपये
– पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,000 रुपये
– पामोलिन एक्स- कांडला- 11,920 (बिना जीएसटी के)
– सोयाबीन दाना 6,325 – 6,375, सोयाबीन लूज 6,185 – 6,240 रुपये
– मक्का खल (सरिस्का) 4,000 रुपये