उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान में कोई दिक्कत ना आए. इसके लिए चुनाव आयोग (Election Commission) ने विशेष तैयारियां की हैं. इन तैयारियों के तहत एयर एंबुलेंस (Air ambulance) से लेकर जेसीबी तक का प्लान बनाया गया है. दरअसल, सर्दियों में पहाड़ के कई जिलों में फरवरी-मार्च में भी बर्फबारी होती है. ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती मतदान कराने की है. उत्तराखंड की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि बर्फबारी के बीच मतदान को समय से कराने के लिए विशेष योजना बनाई गई है. बताया कि जो बूथ तय किए जा चुके हैं, वहीं मतदान होगा. इसमें बर्फबारी की वजह से कोई बदलाव नहीं होगा.
इसी के ही साथ जहां ज्यादा खराब हालात होंगे, वहां पोलिंग पार्टियों को जरूरत पड़ने पर एयर एंबुलेंस से भेजा जाएगा. उन्होंने बताया कि अभी तक पोलिंग पार्टियां, मतदान से 24 घंटे पहले रवाना की जाती थीं, लेकिन उन्होंने चुनाव आयोग से 72 घंटे पहले उन्हें पोलिंग बूथों तक पहुंचाने की अनुमति ली है. यानी तीन दिन पहले बर्फबारी वाले पोलिंग बूथों तक पोलिंग पार्टियां रवाना कर दी जाएंगी.
रास्ते में बर्फ को काटकर रास्ता साफ किया जाता है
जिन पोलिंग बूथों में ज्यादा बर्फबारी की आशंका है, वहां के लिए चुनाव आयोग ने धरातल पर भी मजबूत प्लान बनाया है. मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि पोलिंग पार्टियों को सुगमता से पहुंचाने के लिए जेसीबी, कटर, पीडब्ल्यूडी की टीम, एसडीआरएफ की टीम तैनात रहेगी. जहां भी रास्ते में बर्फ रुकावट बनेगा, उसे काटकर रास्ता साफ किया जाएगा.
11 फरवरी तक नहीं होगी कोई रैली और रोड शो
विधानसभा चुनाव के बीच कोविड संक्रमण के चलते राजनीतिक दलों की बड़ी रैलियों, रोड शो पर 11 फरवरी तक के लिए रोक लगा दी गई है. चुनाव आयोग ने पहले एक फरवरी से रैलियों और रोड शो से रोक हटाने की घोषणा की थी, लेकिन सोमवार को आयोग ने समीक्षा बैठक कर इस रोक को 11 फरवरी तक बढ़ा दिया है. तब तक प्रदेश में किसी भी राजनीतिक दल के रोड शो, पद यात्रा, साइकिल, बाइक, वाहन रैली को अनुमति नहीं दी जाएगी.
हालांकि आयोग ने कुछ राहतें भी दी हैं. इसके तहत हर जिले के डीएम की ओर से निर्धारित खुली जगह पर अब 1000 लोगों की क्षमता के साथ जनसभा की जा सकेगी. पहले यह आंकड़ा 500 का था. इसमें कोविड प्रोटोकॉल का पालन अनिवार्य होगा.