जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के 2 साल बाद केंद्र सरकार(central government) ने एक महत्वपूर्ण समझौता किया है. दरअसल, मिडिल ईस्ट के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में शुमार दुबई, जम्मू और कश्मीर में निवेश करने जा रहा है. केंद्र सरकार ने सोमवार को बताया कि दुबई ने जम्मू-कश्मीर में इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
इस बात की जानकारी अभी नहीं है कि दुबई जम्मू और कश्मीर में कितनी राशि निवेश करने जा रहा है. इस समझौते के तहत दुबई कश्मीर में औद्योगिक पार्क, आईटी टावर, बहुउद्देश्यीय टावर, लॉजिस्टिक टॉवर्स, मेडिकल कॉलेज और एक विशेष अस्पताल सहित बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा.
गौरतलब है कि दुबई(dubai) के इस कदम से पाकिस्तान(Pakistan) को एक और बड़ा झटका लगेगा. कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान यूं भी इस्लामिक देशों की बिरादरी में अलग-थलग पड़ चुका है. कुछ समय पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा में ईरान और सऊदी अरब जैसे बड़े देशों ने भी पाकिस्तान की उम्मीदों के बावजूद कश्मीर को लेकर कोई भी बयान नहीं दिया था जिसके बाद पाकिस्तानी प्रशासन काफी निराश दिखा था और पाकिस्तान के पूर्व राजदूत अब्दुल बासित ने यहां तक कह दिया था कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान में निरंतरता की कमी के चलते दूसरे देशों के सामने हम मजाक बन चुके हैं.
दुबई के जम्मू-कश्मीर में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी योजनाओं में निवेश के चलते वहां हजारों-लाखों श्रमिकों की जरूरत भी पड़ने वाली है. जाहिर है, इस क्षेत्र में अगर आर्थिक खुशहाली आने से पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फिर सकता है. अगर पाकिस्तान आतंकियों के सहारे इस जगह की शांति को भंग करने की कोशिश करता है तो ऐसी भी संभावना है कि दुबई और संयुक्त अरब अमीरात पाकिस्तान पर कड़ा एक्शन लें और इसमें सबसे महत्वपूर्ण एक्शन संयुक्त अरब अमीरात में काम करने वाले लाखों पाकिस्तानियों को लेकर हो सकता है.
पाकिस्तान के पूर्व राजदूत अब्दुल बासित(abdul basit) ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि ये समझौता, पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में भारत के लिए बहुत बड़ी कामयाबी है. ओआईसी (इस्लामिक सहयोग संगठन) के देशों ने अब तक पाकिस्तान को लेकर सामान्य रवैया रखा है. उन्होंने कभी पाकिस्तान को लेकर पुरजोर समर्थन तो नहीं दिखाया है लेकिन कभी पाकिस्तान को लेकर नकारात्मक रवैया भी अख्तियार नहीं किया है.