भारत को दुनिया के सबसे अलग देशों में से एक माना जाता है. यहां की संस्कृति,रहन-सहन,विचार सब बाकी देशों से अलग है. यहां की शादी भी बहुत रीति-रिवाजों के साथ संपन्न होती है और जहां रिवाज है कि शादी के बाद दुल्हन को अपना घर छोड़कर दूल्हें के घर जाना पड़ता है. ये रिवाज सदियों से चला आ रहा है. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में एक ऐसा गांव भी है जहां बिल्कुल अलग प्रथा है. जी हां एक ऐसा गांव है जहां शादी होने के बाद दुल्हन, दूल्हे के घर नहीं जाती बल्कि दूल्हा, दुल्हन के घर पर आकर रहता है. लड़की शादी का बाद ससुराल नहीं जाती है बल्कि दामाद ही लड़की के घर आकर रहता है.
बता दें कि उत्तरप्रदेश के कौशांबी जिले में हिंगुलपुर गांव एक ऐसा गांव है जिसे दामादों का पुरवा यानी दामादों के गांव के तौर पर ही जाना जाता है. इस गांव में शादी के बाद दूल्हे को घर जमाई बनकर रहना पड़ता है. ससुराल वालों की तरफ से दामाद को रोजगार और रोजगार के साधन मुहैया कराए जाते हैं.
दरअसल काफी समय पहले ये गांव कन्या भ्रूण हत्या और दहेज हत्या में बहुत आगे था, लेकिन आज के समय में इस गांव ने अपने बेटियों को बचाने के लिए अनूठा तरीका अपनाया है.
इसके अलावा भी भारत में ऐसे कई गांव हैं जहां इस तरह की परंपरा है. मेघालय में खासी जनजाति में भी ऐसी ही परंपरा है. खासी समुदाय महिला अधिकारों का सबसे अच्छा उदाहरण माना जाता है. इस राज्य की लगभग 25 फीसदी आबादी इसी समुदाय से ताल्लुक रखती है और ये सभी समुदाय मातृसत्तात्मक हैं. इस समुदाय की महिलाएं भी अपनी इच्छा पर किसी भी वक्त अपनी शादी को तोड़ सकती हैं. यहां भी शादी के बाद दूल्हा, ससुराल में जा कर रहता है.
वहीं मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिला मुख्यालय के पास भी ऐसा ही एक गांव है, जहां शादी के बाद दामाद को अपने ससुराल में आकर रहना पड़ता हैं. यहां का बीतली नामक गांव जमाइयों के गांव के नाम से मशहूर है.