पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सीमा पर जिस गांव के बनाए जाने का दवा किया है, दरअसल वो लंबे समय से पीएलए का कैंप बना हुआ है. इस बात की जानकारी सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्र ने दी है. सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि जिस कंस्ट्रक्शन को चीन का गांव बताया जा रहा है वो पीपल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए का कैंप है जो कि नागरिक बसाव से कोसों दूर है.
उन्होंने बताया कि साल 1962 में चीनी सेना यानी पीएलए ने इस इलाके को अपने कब्जे में ले लिया था. जिसके बाद से वहां पर उनके छोटे-छोटे कैंप लगे हैं. यह पूरा इलाका अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले के त्सारी चू गांव का है, जिसे लेकर पेंटागन ने दावा किया था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा में अंदर घुसकर पूरा का पूरा एक गंवा बसा लिया है. इस गांव में करीब 100 घरों के होने की बात कही गई थी.
एक दिन में नहीं बने ये कैंप!
सूत्र ने बताया कि चीन ने एक दिन में यह नहीं बनाया बल्कि ये बर्षों से यहां है. यहां उनकी चौकी बनी हुई है. उन्होंने बताया कि जिस जगह पर चीनी निर्माण दिखाई दे रहे हैं वहां पर सेना की चौकी हुआ करती थी. 1962 में यहां चीन ने कब्जा किया और सेना का शिविर बनाया.
पेंटागन ने चीन के सैन्य आधुनिकीकरण पर अपनी एक प्रमुख रिपोर्ट में कहा है कि चीन भारत के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपने दावे को लेकर दवाब बनाने के लिए ‘सतत रणनीतिक कार्रवाई’ कर रहा है. पेंटागन ने कहा कि मई 2020 की शुरुआत में, चीनी सेना ने सीमा पार से भारतीय नियंत्रित क्षेत्र में घुसपैठ शुरू की और एलएसी पर गतिरोध वाले कई स्थानों पर सैनिकों को तैनात किया.
क्या था पेंटागन का दावा?
पेंटागन ने कहा था कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए चल रही राजनयिक और सैन्य वार्ता के बावजूद, चीन ने एलएसी पर अपने दावों को लेकर दबाव बनाने के लिए ‘रणनीतिक कार्रवाई को बढ़ाना’ जारी रखा है. जून 2021 तक, चीन और भारत ने एलएसी पर बड़े पैमाने पर तैनाती जारी रखी थी. इसके अलावा, तिब्बत और शिनजियांग सैन्य जिलों से एक पर्याप्त रिजर्व बल पश्चिमी चीन के अंदरुनी हिस्सों में तैनात किया गया था ताकि त्वरित प्रतिक्रिया के लिये तैयार रहा जा सके.
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में जब चीन और भारत के बीच गतिरोध चरम पर था उस वक्त चीन की सेना ने पश्चिमी हिमालय के दूरदराज के इलाकों में फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क स्थापित किया ताकि तेजी से संचार हो सके और विदेशी आक्रमण से सुरक्षा बढ़ाई जा सके. वर्ष 2020 में चीन ने एलएसी के पूर्वी क्षेत्र में चीनी तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और भारत के अरुणाचल प्रदेश के बीच विवादित क्षेत्र में गांव बसाया. लेकिन इस दावे को सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्र ने खारिज कर दिया है.