चुनावों के दौर में राजनीति और न्याय दोनों साथ-साथ तेज चलने लगते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार एवं पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष को लेकर एक आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा है कि भारती के खिलाफ 2019 लोकसभा चुनाव हिंसा मामले में जारी गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के परिणाम आने तक स्थगित रहेगा। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि मामले में घोष के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। पश्चिम बंगाल चुनाव प्रक्रिया के दौरान भारती के उपर इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने ने मामले की सुनवाई को दो महीने के लिए टाल दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने भारती घोष को पश्चिम मेदिनीपुर जिले की डेबरा सीट उम्मीदवार के रूप में उतारा है। इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी हुमायूं कबीर मैदान में हैं जो पूर्व आईपीएस रहे हैं।
भारती घोष ने अपने खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाने और प्राथमिकी रद्द कराने के लिए सोमवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। भारती घोष ने अधिवक्ता समीर कुमार के माध्यम से दायर याचिका में कहा कि 19 फरवरी 2019 को उनके खिलाफ दर्ज सिलसिलेवार झूठे मामलों में शीर्ष न्यायालय ने उन्हें राहत प्रदान की थी। राजनीतिक दल बदले की भावना के कारण नये मामलों में फंसने की कोशिश कर रहे हैं।
भारतीय घोष ने कहा कि वह पिछले लोकसभा चुनाव में घाटल संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार थीं। इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने उन पर हर मतदान केंद्र पर हमला किया। हमले के दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही। केशपुर प्राथमिकी को हाल के समय तक पुलिस की वेबसाइट पर नहीं डाला गया था। उनके पास सीआरपीसी की धारा 75 के तहत गिरफ्तारी का एक वारंट आने तक इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।