कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ ही देश में ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीजों ने भी स्वास्थ्य महकमे के सामने चुनौती खड़ी कर दी है. बेंगलुरू में म्यूकरमायकोसिस या फिर ब्लैक फंगस के इतने मरीज बढ़ गए हैं कि अब शहर के अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे हैं. फंगल इंफेक्शन के मरीजों के लिए जो वार्ड बने थे, वहां बेड फुल हो चुके हैं. हालात ये हैं कि मरीजों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. इससे पहले बेंगलुरू के अस्पतालों में म्यूकरमायकोसिस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की किल्लत थी, लेकिन अब संक्रमण बढ़ने के बाद मरीजों को भर्ती करने की भी समस्या आ पड़ी है.
म्यूकरमाइकोसिस एक गंभीर फंगस संक्रमण है. इस बीमारी के मरीजों को लगभग दो हफ्ते तक अस्पताल में देखभाल की जरूरत होती है. यह संक्रमण नाक के रास्ते से होते हुए आंख की ओर जाता है और एक बार ये मस्तिष्क में फैल जाए तो मरीज की जान भी जा सकती है. इस वक्त ये फंगल इन्फेक्शन कोरोना से ठीक होने वाले कई मरीजों में देखा जा रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक स्टेरॉयड की हाई डोज लेने और कोविड के इलाज के दौरान ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले मरीजों को ये फंगस अपना निशाना बना रहा है, क्योंकि इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता खासी कम हो चुकी होती है .
बेंगलुरू के जाने-माने मिंटो आई हॉस्पिटल में ब्लैक फंगस के अब तक 80 से ज्यादा मरीज आ चुके हैं. इनमें से 50 को भर्ती किया गया है, जबकि बाकी का ओपीडी में इलाज किया गया है. ऐसे कई मरीज हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत थी, लेकिन बेड की कमी की वजह से उन्हें दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दिया गया. मिंटो अस्पताल की निदेशक डॉ सुजाता राठौड़ ने कहा, हमारे पास दो ऐसे भी मामले आए हैं, जिनका इलाज कोविड अस्पतालों में नहीं हुआ. ऐसे में हम नहीं जानते कि उन्हें ब्लैक फंगस का संक्रमण कहां से लगा. ऐसा मामला भी सामने आया है, जिसमें 24 वर्षीय कैंसर मरीज को कभी कोरोना नहीं हुआ मगर ब्लैक फंगस हो गया है. हम नहीं जानते कि वे म्यूकरमाइकोसिस से कैसे संक्रमित हुआ. बॉरिंग एंड लेडी कर्जन अस्पताल के निदेशक डॉ मनोज कुमार ने बताया कि म्यूकरमाइकोसिस के इलाज के लिए अस्पताल में 35 बेड रिजर्व किए गए थे और फिलहाल सभी 35 बेड्स पर मरीज भर्ती हो चुके हैं.