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बीरभूम मामले में बड़ा खुलासा, शवों को निकालने के लिए दमकलकर्मियों को 10 घंटे करना पड़ा था इंतजार

पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के रामपुरहाट के बोगतुई गांव ( Bogtui village) में हुए नरसंहार के मामले में एक अहम खुलासा हुआ है. बीरभूम हिंसा के एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि दमकल कर्मियों ने बीरभूम में जले हुए घरों में भीषण गर्मी के कारण जले हुए शवों को निकालने के लिए 10 घंटे तक इंतजार किया. प्रचंड गर्मी के कारण उस समय उन जले हुए घरों में जाना संभव नहीं था, लेकिन शिकायतकर्ता के अनुसार घायलों और प्रभावितों की तलाशी अभियान अगली सुबह सात बजे तक जारी रहा. बता दें कि टीएमसी नेता की हत्या के बाद सोमवार देर रात हिंसा भड़क गई थी. यहां भीड़ ने 10-12 घरों के दरवाजे को बंद कर आग लगा दी थी. घरों में आग लगाने के बाद कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी.

एनएनआई न्यूज के अनुसार कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बीरभूम हिंसा मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है और जांच शुरू की है. शिकायतकर्ता बीरभूम के रामफुरत थाने में तैनात सब-इंस्पेक्टर है और घटना का पहला रिस्पॉन्डर भी है.

एनएनआई न्यूज के अनुसार एफआईआर कॉपी में लिखा है कि 21 मार्च की रात करीब 9.35 बजे उन्हें रामपुरहाट थाना (ड्यूटी ऑफिसर) के सब-इंस्पेक्टर रमेश साहा से सूचना मिली कि बोगतुई गांव के कुछ घरों में आग लग गई है और वे जल रहे हैं. “मैं अपने साथ के अधिकारियों और बल के साथ सूचना का काम करने के लिए बोगतुई गांव पहुंचा. रात करीब 10.05 बजे हम बोगतुई गांव पहुंचे, जो एनएच-60 पर बोगतुई मोड़ से करीब एक किमी की दूरी पर स्थित है. वहां से जानकारी मिली की कि वहां आठ घर और कुछ पुआल के ढेर लगे और उसमें भीषण आग लग गई और वे भीषण रूप से जल रहे थे. उन्होंने कहा, ““मैंने तुरंत ड्यूटी अधिकारी एसआई रमेश साहा को फोन किया और उन्हें तुरंत दमकल कर्मियों को आग बुझाने के लिए मौके पर जाने के लिए सूचित करने के लिए कहा. उसके बाद मैंने अपने बेटे के साथ स्थानीय लोगों की मदद से बाल्टियों से पानी डालकर आग पर काबू पाने की पूरी कोशिश की, लेकिन आग इतनी विनाशकारी होने के कारण ऐसा करने में असफल रहा/ रात करीब 10.25 बजे, रामपुरहाट दमकल और आपातकालीन सेवाओं के दमकल कर्मी दो दमकल गाड़ियों के साथ मौके पर पहुंचे और आग बुझाने का काम शुरू किया, ”

दमकलकर्मियों के घर के अंदर पहुंचने में हुई थी देरी

अग्निशमन अभियान के दौरान, चार लोग जले हुए पाए गए. स्थानीय लोगों और उनके परिजनों की मदद से उन्हें तत्काल रामपुरहाट मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया. किसी तरह आग पर काबू पाया गया और आग पर कमोबेश काबू पाने के बाद तड़के करीब दो बजे दमकल कर्मी मौके से चले गए. एफआईआर में शिकायतकर्ता के बयान के अनुसार, “भीषण गर्मी के कारण उस समय उन जले हुए घरों में प्रवेश करना संभव नहीं था. हालांकि, घायल और प्रभावित व्यक्तियों की तलाशी प्रक्रिया 22 मार्च (अगले दिन) सुबह लगभग 07.10 बजे जारी रही, दमकल कर्मी फिर से गांव पहुंचे और हमारे तलाशी अभियान में शामिल हो गए. प्राथमिकी में आगे लिखा है कि अधिकांश घर पूरी तरह से जलकर खाक हो गए थे और उनमें तोड़फोड़ भी की गई थी. जब तलाशी अभियान जारी था, घरों से सात जले हुए शव बरामद किए गए. घर से बचाए गए एक घायल व्यक्ति ने अस्पताल में इलाज के दौरान गंभीर रूप से जलने के कारण दम तोड़ दिया. सभी शव जलकर राख हो गए थे पहचान से परे थे. उन्होंने प्राथमिकी में कहा कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए तत्काल रामपुरहाट कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया गया.