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बिहार के 88 हजार शिक्षकों को नौकरी से धोना पड़ सकता है हाथ, जानें बड़ी वजह

बिहार सरकार ने साल 2006 से 2015 के समय में नियुक्त किये गये लगभग 11 हजार शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच दोबारा कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए शिक्षकों को अपने नियोजन फोल्डर निगरानी जांच समिति को उपलब्ध कराने होंगे। राज्य में अब तक 88 हजार शिक्षकों के प्रमाणपत्र शिक्षा विभाग के माध्यम से निगरानी विभाग को नहीं दिये जा सके हैं। ऐसे में इन शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटकनी शुरू हो गयी है।

डिग्रियों की हो रही जांच जांच

मिली जानकारी के अनुसार पटना हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य में करीब साढ़े चार साल से चलाई जा रही नियोजित शिक्षकों की डिग्रियों की जांच को लेकर साल 2006 से 2015 तक के बीच नियुक्त किये गये तीन लाख दस हजार शिक्षकों में से मात्र 2.07 हजार शिक्षकों के फोल्डर जिला शिक्षा कार्यालयों के माध्यम से निगरानी जांच टीम को मुहैया कराये गए हैं। निगरानी जांच को मार्च 2021 तक 1.03 लाख शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिले थे। इसके बाद जब विभाग ने फिर से कड़ाई की तो 15 हजार और शिक्षकों के प्रमाणपत्र जांच के लिए सौंपे जा गये लेकिन अभी भी 88 हजार शिक्षक ऐसे हैं जिनके नियोजन फोल्डर निगरानी समिति को नहीं सौंपे गये है। इन शिक्षकों की सूची जिलावार एनआईसी की वेबसाइट पर अपलोड की जा चुकी है। अब इन शिक्षकों को अपने सभी शैक्षिक-प्रशैक्षिक प्रमाण पत्र विभाग द्वारा तैयार कराए गए वेब-पोर्टल पर 21 जून से 20 जुलाई तक अपलोड करने हैं। इसे लेकर विभाग द्वारा आदेश दिया जा चुका है।

इस बीच पता चल रहा है कि विभाग द्वारा निगरानी समिति को जिन 2.07 लाख शिक्षकों के नियोजन फोल्डर दिये गये थे। वह भी आधे -अधूरे हैं। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार इन 11 हजार शिक्षकों में से कुछ को तकनीकी वजहों से तो कुछ के अधूरे प्रमाण पत्रों के कारण दोबारा नियोजन की पूरी कवायद करनी पड़ेगी। बिहार के सरकारी विद्यालयों में पंचायती राज तथा नगर निकाय नियोजन इकाइयों द्वारा बहाल ऐसे शिक्षक, जिनके प्रमाण पत्रों की निगरानी जांच नहीं हुई है।

उन्हें राज्य सरकार ने एक महीने के अंदर प्रमाण पत्र जमा कराने के आदेश दिए है। इन्हें इसी माह यानी 21 जून से 20 जुलाई तक अपने प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग द्वारा एनआईसी की मदद से बनाए गए वेब पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। जो शिक्षक ऐसा नहीं करेंगे उनकी नियुक्ति को अवैध मानते हुए उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। साथ ही प्राप्त वेतन की राशि भी उनसे लोकमांग वसूली अधिनिय। तहत वसूल की जाएगी।