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बिहार की वो 11 सीटें, जिसने बढ़ा दी थी NDA की बैचेनी, नहीं बदलता वोटर का मिजाज, तो बिगड़ जाता पूरा खेल

बिहार विधानसभा चुनाव की जंग में एक बार फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन अपनी जगह बनाने में सफल रहा है। एक बार फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सीएम बनने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है। इस चुनाव में एनडीए को 125 सीटों पर जीत मिली है। उधर, महागठबंधन भी एनडीए को कांटे की टक्कर देता हुआ दिखा है। इस बीच बिहार की 243 सीटों पर अलग-अलग चुनावी समीकरण देखने को मिले हैं। कुछ सीटों पर दोनों ही महागठबंधन के प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली है तो वहीं कुछ सीटें ऐसी भी रही, जहां 1 हजार वोटों से कम का अंतर भी दिखा है। हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में कुछ ऐसी ही सीटों के बारे में बताने जा रहे हैं।

चुनाव आयोग के मुताबिक, 11 सीटें ऐसी रही, जहां 1 हजार से कम के वोटों का अंतर दिखा है। मसलन, नालंदा जिले की हिलसा सीट, जहां जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार कृष्णमुरारी शरण उर्फ ​​प्रेम मुखिया ने आरजेडी के अत्रि मुनि उर्फ ​​शक्ति सिंह यादव को मात्र 12 वोटों से हराया। इन 11 सीटों में से 5 सीटें ऐसी रही, जहां 951 से भी कम मत मिला है।  इन पांच सीटों में से 3 जेडीयू और एक-एक राजद और लोजपा ने जीती है। उधर, जेडीयू ने हिलसा, बरबीघा और भोरे सीटों को क्रमश: 12, 113 और 462 मतों से जीता।

इसके साथ ही  बरबीघा से जेडीयू उम्मीदवार सुदर्शन कुमार ने कांग्रेस गर्जानंद सिन्हा को मात्र 113 मतों से हराया है। वहीं, गोपालगंज के भोरे सीट से जेडीयू प्रत्याशी सुनील कुमार ने सीपीआई (एमएल) के उम्मीदवार जितेंद्र पासवान  को 462 मतों से हराया है। उधर, आरजेडी के सुधारकर सिंह ने रामगढ़ सीट पर बीएसपी उम्मीदवार अंबिका सिंह को मात्र 189 सीट से हराया है। एलजेपी के राज कुमार सिंह ने मटिहानी सीट पर जेडीयू के नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ ​​बोगो सिंह को केवल 333 मतों से हराया। उधर, ऐसी कुल 6 सीटें रही, जहां 1 हजार से भी कम सीटों का अंतर दिखा है।  चकाई सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार सुमित कुमार सिंह ने आरजेडी की सावित्री देवी को 581 मतों से हराया। गौरतलब है कि बिहार की अलग-अलग सीटों पर अलग सियासी समीकरण देखने को मिले हैं, जो इस वर्ष हुए विधानसभा चुनाव के  नतीजों का परिणाम रहा है।