पाकिस्तान में बाढ़ के कारण 1200 से अधिक लोगों की जान चली गई है, जबकि लाखों लोग बेघर हो गए हैं। इनके सामने खाने-पीने की दिक्कत हो गई है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया कि रिकॉर्ड मानसूनी बारिश के कारण आई बाढ़ से 1208 लोगों की जान चली गई। जिन लोगों की मौत हुई है उनमें 416 बच्चे और 244 महिलाएं हैं। उसके अनुसार बाढ़ जनित घटनाओं में 6082 लोग घायल भी हो गए।
देश में तीन दशक में इस बार सबसे अधिक वर्षा होने और हिमनद के पिघलने से एक तिहाई हिस्सा जलमग्न है। बाढ़ की सबसे अधिक मार सिंध और बलूचिस्तान प्रांत पर पड़ी है। गिल्गिट बाल्टिस्तान का दौरा करने के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा, ‘बाढ़ के कारण यहां हुई लोगों की मौत से मुझे बड़ा दुख हुआ। पूरे देश में तबाही हुई है। आप जहां भी जाएं, तबाही हर जगह आपको नजर आएगी।’
पाकिस्तान के इतिहास में इसे सबसे खतरनाक बाढ़ बताया जा रहा है। देश की एक-तिहाई से अधिक आबादी पानी के बीच रहने को मजबूर है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने कुछ सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं, जिनमें बाढ़ की भयावहता को देखा जा सकता है। बाढ़ के पानी के फंसे से बहुत से लोगों को भोजन की सख्त जरूरत है। बाढ़ के चलते यहां लाखों एकड़ की फसल बर्बाद हो गई है। ऐसे में समस्या और गंभीर हो चुकी है।
चैरिटी एक्शन अगेंस्ट हंगर के अनुसार, पाकिस्तान में 27 मिलियन लोगों के पास बाढ़ से पहले ही पर्याप्त भोजन की व्यवस्था नहीं थी। अब तो बड़े पैमाने पर भूख की समस्या खड़ी हो गई है। यूनाइटेड किंगडम स्थित सहायता गठबंधन आपदा आपातकालीन समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सालेह सईद ने राहत और बचाव कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘पानी लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हमारी प्राथमिकता है कि ज्यादातर लोगों का जीवन बचाया जा सके। बाढ़ के चलते जान-माल का भारी नुकसान हुआ है।’
विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार अहमद ने कहा कि 3.3 करोड़ से अधिक लोग बड़े पैमाने पर आपदा से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने आपदा से निपटने के लिए 16 करोड़ डॉलर की तत्काल मदद की अपील की है। अहमद ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस इस कठिन समय में पाकिस्तान के प्रति एकजुटता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन दर्शाने के लिए 9-10 सितंबर को पाकिस्तान का दौरा करेंगे। ऑस्ट्रेलिया, चीन, अमेरिका समेत कई देशों और विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों समेत विभिन्न वैश्विक संगठनों ने सहायता की पेशकश की है।