उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में इस बार मुख्तार की ‘मुख्तारी’ नहीं चलेगी। बैरक नंबर-15 में उनकी जिंदगी बिल्कुल किसी आम कैदी की तरह होगी। मुख्तार, आपराधिक मामलों में बंद हैं सो उन्हें राजनीतिक बंदी नहीं माना जाएगा। हालांकि एक समय था जब इसी जेल में मुख्तार का सिक्का चलता था। वह जब पहली बार बांदा जेल में बंद थे तो दूसरे अपराधी उनके नाम से थर-थर कांपते थे। मुख्तार के पास वर्षों के जेल जीवन का अनुभव है। जेलों में उनका दरबार लगता रहा है लेकिन इस बाद न दरबार होगा न मुंख्तारी। मुख्तार को वही सुविधाएं मिलेंगी जो जेल में किसी भी दूसरे कैदी को मिलती हैं।
इसके पहले मुख्तार को 2017 में बांदा जेल भेजा गया था। तब भी उन्हें यहां की बैरक नंबर-15 में ही रखा गया था। इस बार भी मुख्तार का ठिकाना यही बैरक बन रही है लेकिन वे विशेष सुविधाएं नदारद हैं जिनका उपभोग मुख्तार यहां करते आए हैं। सीखचों के पीछे कभी एसी और निजी जेनरेटर जैसी व्यवस्थाओं का सुख लेने वाले इस माफिया को शायद पहली बार ऐसी कड़ी निगरानी का सामना करना पड़ रहा है। मुख्तार अंसारी पहली बार कानून के सामने इस कदर लाचार नज़र आ रहे हैं। इसके पहले तक उनका रसूख और रुपए जेल के बाहर की तरह जेल के अंदर भी उनका साम्राज्य फीका नहीं पड़ने देते थे।
राजा भैय्या और अतीक अहमद भी यहां रह चुके हैं बंद
मुख्तार के अलावा बांदा जेल में यूपी के कुछ अन्य बाहुबली भी बंद रह चुके हैं। इनमें राजा भैय्या और अतीक अहमद के नाम प्रमुख हैं। उनके अलावा शीलू बलात्कार कांड का आरोपी नरैनी से बसपा विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी, नोएडा का गैंगस्टर अनिज दुजाना भी यहां सजा काट चुके हैं।
बांदा जेल में बढ़ाई गई सुरक्षा
मुख्तार के रिटर्न को लेकर बांदा जेल में सुरक्षा व्यवस्था पहले से काफी कड़ी कर दी गई है। जेल में अब जो लोग भी दाखिल किए जाएंगे, उनकी पूरी पड़ताल की जाएगी। बिना जांच-पड़ताल के जेल स्टॉफ को भी इंट्री न दी जाए। जेल में कौन कितनी बार आया इसका हिसाब रखा जाएगा। बकायदा रजिस्टर मेंटन किया जाएगा। जेल के बाहर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।