गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में एक बस ड्राइवर ने अपनी सूझबूझ से एक महिला यात्री की जान बचा ली. ड्राइवर का यह किस्सा जो भी सुन रहा है वह खुद को उसकी तारीफ करने से नहीं रोक पा रहा है. दरअसल यह पूरी घटना गांधीनगर से अहमदाबाद आ रही एक सरकारी बस में हुई, जहां यात्रा के दौरान एक महिला यात्री को चेस्ट पेन की शिकायत हुई. रोड पर दौड़ रही बस में अचानक हार्ट अटैक आने की घटना के बाद ड्राइवर ने अपनी सूझबूझ से महिला को मौत के मुंह से बचा लिया.
जानकारी के अनुसार 9 दिसंबर को बस में यात्रा के दौरान एक महिला को दिल का दौरा पड़ गया. ऐसे में जब दिल के दौरे की बात ड्राइवर को पता चली तो उसने सोचा कि हाई-वे पर एंबुलेंस आने में वक्त लग सकता है लिहाजा यात्रियों से भरी बस ही अस्पताल पहुंचा दी. ड्राइवर की इस सूझबूझ के कारण महिला को समय पर इलाज नसीब मिल गया और डॉक्टर ने उसकी जान बचा ली. ड्राइवर के मुताबिक उसे लगा कि एंबुलेंस आने में समय बर्बाद करने से बेहतर है कि वह खुद उसे अस्पताल पहुंचा दे.
क्या करना चाहिए कार्डियक अरेस्ट होने?
नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल की सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. वनीता अरोरा के मुताबिक सडन कार्डियक अरेस्ट आने के बाद शुरुआती 6 मिनट सबसे जरूरी होते हैं. अगर इन 6 मिनट के अंदर मरीज को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) दे दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है. एंबुलेंस आने या मरीज को डॉक्टर की मदद मिलने तक लगातार सीपीआर देने से जान बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है. 6 मिनट से ज्यादा देर हो जाए और किसी तरह की मदद ना मिले तो व्यक्ति ब्रेन डेड हो सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है. कार्डियक अरेस्ट की कंडीशन में सीपीआर लाइफ सेविंग हो सकता है.