कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर BJP का समर्थन करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बयान जारी करके कहा है कि फेसबुक का BJP के साथ गठजोड़ नया नहीं हैं. हम सभी को अंखी दास से जुड़ी घटना याद है, जिनसे संसदीय पैनल ने फेसबुक द्वारा कथित पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाए जाने, सत्तारूढ़ BJP के लिए उनके स्पष्ट समर्थन को लेकर पूछताछ की थी. पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि उनके इस्तीफे के बावजूद, बीजेपी-फेसबुक के बीच की दोस्ती और गठजोड़ कभी खत्म नहीं हुआ. पवन खेड़ा ने फेसबुक को ‘फेकबुक’ तक कह डाला.
खेड़ा के बयान में कहा गया है कि फेसबुक की सुरक्षा टीम ने पहले 2020 में निष्कर्ष निकाला था कि बजरंग दल ने देश भर में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का समर्थन किया था. यह अनुमान लगाया गया था कि फेसबुक उन्हें ‘खतरनाक संगठन’ के रूप में नामित करने और उन्हें मंच से प्रतिबंधित करने की कगार पर था. हालांकि बाद में सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी ने अपने व्यवसाय को प्राथमिकता दी.
इन सवालों का जवाब दे सरकार और फेसबुक
पवन खेड़ा ने कहा कि भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के करीब 370 मिलियन यूजर है, जिसके साथ फेसबुक का देश में बहुत बड़ा बाजार है. जिसके चलते 0.2 फीसदी रिपोर्ट जो अभद्र भाषा की हैं, उन्हें हटाया जा रहा है. खेड़ा ने आरोप लगाया कि फेसबुक भारत के एक विशेष वर्ग के लिए अत्यधिक जागरुक था और है. इसी वजह से फेसबुक ने इनके खिलाफ कार्रवाई न करने का फैसला किया है. खेड़ा ने कहा कि “फेकबुक” भारत में उत्पीड़ित और हाशिए पर रहने वाले लोगों के मन में कट्टरता, घृणा और भय का प्रचार करने के लिए सत्तारूढ़ शासन और उसके प्रॉक्सी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एक शातिर शैतानी उपकरण के अलावा और कुछ नहीं है. खेड़ा ने कहा कि ऐसे में कई प्रश्न हैं जिनका उत्तर फेसबुक और सरकार को देना चाहिए.
1. सबकुछ जानने के बावजूद फेसबुक ने अपनी आंतरिक रिपोर्टों के आधार पर आरएसएस और बजरंग दल को ‘खतरनाक संगठन’ के रूप में क्यों नहीं नामित किया है?
2. वहीं भारत सरकार सोशल मीडिया सुरक्षा अनुपालन का हवाला देते हुए ट्विटर के खिलाफ बेहद एक्टिव थी, अब वे एक शब्द क्यों नहीं बोल रहे हैं?
3. Facebook की सुरक्षा टीम की आंतरिक रिपोर्ट और अनुशंसाएं फेसबुक की सुरक्षा टीम की अनुशंसाओं के विरुद्ध गईं. जहां तक उन्होंने भारतीय नागरिकों की सुरक्षा पर व्यावसायिक हितों को प्राथमिकता दी है, और फिर भी सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है, क्या यह स्पष्ट रूप से ‘क्विड प्रो क्वो’ की उपस्थिति को नहीं दर्शाता है?
4. इसलिए हम मांग करते हैं कि एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच के तुरंत आदेश दिए जाएं.