Breaking News

फाइजर, मॉडर्ना के टीके भेजने के लिए तैयार बैठा अमेरिका, भारत सरकार की मंंजूरी का कर रहा इंतजार

अमेरिका ने पूरी दुनिया में कई देशों को 8 करोड़ कोरोना वैक्सीन दान करने की घोषणा की थी। अमेरिका ने टीके बांटना शुरू कर दिया है लेकिन भारत में खुराक पहुंचाने में कुछ समस्याएं सामने आ रही हैं। अमेरिका तो दुनिया के कई देशों को वैक्सीन भेजने की अपनी योजना में अब भारत को टीके भेजने के लिए तैयार बैठा है लेकिन उसे भारत सरकार की मंजूरी का इंतजार है। अमेरिका ने कहा कि वह कोरोना वैक्सीन भेजने के लिए भारत सरकार के हरी झंडी देने का इंतजार कर रहा है। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, “भारत सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद हम टीकों को तेजी से भेजने के लिए तैयार हैं।”

असल में भारत ने अपने परिचालन, नियामक और कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए थोड़ा और समय मांगा है। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका के टीके पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश तक पहुंच चुके हैं। लेकिन भारत पहुंचने में दिक्कत हो रही है। भारत में पहुंचने के लिए समय लग रहा है क्योंकि यहां आपातकालीन आयात में कुछ कानूनी बाधाएं हैं। अमेरिका ने पहले अपने घरेलू स्टॉक से 8 करोड़ खुराक दुनिया भर के देशों के साथ साझा करने की घोषणा की थी। भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका से मॉडर्न और फाइजर की 30-40 लाख खुराक मिलने की उम्मीद है। बता दें कि मॉडर्ना को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से मंजूरी मिल गई हैं, वहीं फाइजर ने अभी तक भारत में आपातकालीन अनुमोदन के लिए आवेदन नहीं किया है।

कानूनी बाधाएं क्या हैं?

नेड प्राइस ने कहा है कि “हमारे खुराकों को भेजने से पहले हर देश को अपने परिचालन, नियामक और कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करना होता है, यह हर देश के लिए विशिष्ट हैं। लेकिन अब भारत ने कहा है कि इससे संबंधित कानूनी प्रावधानों की समीक्षा करने के लिए उसे और समय की जरूरत है। नेड ने कहा कि मोटे तौर पर पूरे दक्षिण एशिया में, हम अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका को लाखों टीके दान कर रहे हैं। दुनिया भर में अब तक लगभग 4 करोड़ खुराक बांट दी गई हैं। .

भारत को अब उपलब्ध होने वाली वैक्सीन की खुराक अमेरिकी से मिलने वाले दान का हिस्सा है और भारत में इन टीकों की व्यावसायिक आपूर्ति पर अभी तक कोई समझौता नहीं किया गया है। DCGI ने मॉडर्न को मंजूरी दी और सिप्ला अमेरिका से टीकों का आयात करेगी। लेकिन कानूनी क्षतिपूर्ति पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। मॉडर्ना और फाइजर भारत में कानूनी सुरक्षा चाहते हैं जो उन्हें देश में कानूनी मामलों से बचाएगी।