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प्लेन के पायलट ने देखा ‘स्वर्ग’ जैसा नजारा, कैमरे में कैद कर सोशल मीडिया पर किया शेयर

कई बार फ्लाइट (flight) से उड़ते हुए लोगों को कुछ ऐसा दिख जाता है जो किसी सपने से लगता है. कभी लोगों ने बादलों (clouds) को बीच चलती इंसानी अकृतियां देखी तो कभी कोई उड़ता घोड़ा. कई चीजें कैमरे में कैद भी हुईं. ठीक इसी तरह हाल में एक प्लेन के पायलट (pilot) ने जो देखा उसे शायद ही वो कभी भूल पाएगा.

‘स्वर्ग पहुंच जाने जैसा लग रहा है’
अच्छी बात ये है कि थॉमस नाम के पायलट ने जो कुछ भी देखा वह सिर्फ कही कहाई बात नहीं है बल्कि उसने वो सब कुछ अपने मोबाइल के कैमरे में कैद कर लिया. ये वीडियो सचमुच उड़ते हुए ‘स्वर्गिगुप’ पहुंच जाने जैसे लग रहा है. जब उन्होंने ये वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया तो इतना ज्यादा सुंदर नजारा देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो गए. वीडियो के साथ थॉमस ने एक डीटेल कैप्शन भी दिया.

‘चारों ओर हरे और लाल चमकीले पर्दे’
दरअसल, ये नजारा ऑरोरा बोरेलिस (नॉर्दन लाइट्स) का था. उन्होंने लिखा ‘मैंने सबसे सुंदर ऑरोरा बोरेलिस (नॉर्दन लाइट्स) देखी है! कल रात की बहुत ही खूबसूरत ऑरोरा बोरेलिस. हरे और लाल चमकीले पर्दे. ये दुर्लभ नजारा नीदरलैंड से भी दिखाई दे रहा था.’ वीडियो कुछ दिन पहले शेयर किया गया था. तब से अब तक इसे करीब 6.1 लाख बार देखा जा चुका है. पोस्ट को लगभग 47,000 लाइक्स मिल चुके हैं. इसपर लोग ढेरों कमेंट भी कर रहे हैं.

‘यार, तुम्हारा ऑफिस व्यू मेरे से बेहतर है’
एक यूजर ने लिया “क्या आप नॉर्दन लाइट्स के अंदर उड़ सकते हैं?” थॉमस ने इसपर जवाब भी दिया- “बिल्कुल. कोई नुकसान नहीं होगा. ये बिल्कुल सुरक्षित है.” एक अन्य ने कहा, ‘ये कितना खूबसूरत है, ऐसे नजारे के साथ फ्लाइंग पर फोकस मुश्किल है.’ तीसरे ने मजाक में कहा, ‘यार, तुम्हारा ऑफिस व्यू मेरे से बेहतर है.’

क्या है नॉर्दर्न लाइट्स?
औरोरा बोरियालिस या नॉर्दर्न लाइट्स प्रकृति की खूबसूरती को दिखाती हैं. इन्हें पृथ्वी के सबसे बड़े लाइट शो के तौर पर माना जाता है. इस घटना ने सदियों से वैज्ञानिकों को हैरान किया है.

हालांकि, अब जाकर इस सवाल का जवाब ढूंढ़ लिया गया है. वैज्ञानिकों ने समझा है कि नॉर्दर्न लाइट्स जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म के दौरान शक्तिशाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स की वजह से पैदा होते हैं.

यानी जब कोई सौर तूफान हमारी ओर आता है, तो कुछ ऊर्जा और छोटे कण उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं से नीचे पृथ्वी के वायुमंडल में चले जाते हैं. यहां ये कण हमारे वायुमंडल में गैसों के साथ संपर्क करते हैं जिसके कारण आसमान रंगीन हो जाता है.