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पैंगोंग का मसला हल होने के बाद अब देपसांग पर तैयारी करेगा भारत

चीन की एक-एक साजिशों, चालबाजियों का भारत करारा जवाब दे रहा है। पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील का मसला चीन के साथ हल होने के बाद भारत अब देपसांग के मुद्दे को उठाने की तैयारी में है। चीन के साथ कॉप्र्स कमांडर लेवल की अगली मीटिंग में भारत की ओर से इस मुद्दे को उठाया जा सकता है। भारत अब चीन पर शिकंजा कसते जा रहा है। गुरुवार को ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पैंगोंग लेक से दोनों देशों की सेनाओं और हथियारों के हटने के 48 घंटे बाद सीनियर कमांडर्स लेवल की बातचीत होगी। इस वार्ता में एलएसी के मुद्दों को उठाया जाएगा।

जिन मुद्दों पर बातचीत की जरूरत है, उसका समाधान भी खोजा जाएगा। भारतीय पक्ष की ओर से बात करें तो देपसांग एरिया बेहद अहम इलाका है। यहां चीन की सेना ने घुसपैठ की थी और उसकी यह हरकत दौलत बेग ओल्डी इलाके में भारत की स्थिति के लिए चिंताजनक है। सामरिक दृष्टि से यह इलाका बहुत निर्णायक है। 16,700 फुट की ऊंचाई पर स्थित दौलत बेग ओल्डी भारत के लिए रणनीतिक लिहाज से बेहद अहम इलाका है। दौलत बेग ओल्डी काराकोरम दर्रे से 20 किलोमीटर की ही दूरी पर स्थित है, जो लद्दाख और शिनजियांग को अलग करता है। ऐसे में भारत ने अब देपसांग के मुद्दे को कॉप्र्स कमांडर की मीटिंग में उठाने का फैसला लिया है। देपसांग इसलिए भी अहम है क्योंकि चीन की पहुंच के चलते एलएसी के नजदीक बनी 255 किलोमीटर लंबी दार्बुक – श्योक – डीबीओ रोड पर भी खतरा है। यदि ऐसा होता है तो फिर दौलत बेग ओल्डी से काराकोरम दर्रे का संपर्क खत्म होने का खतरा होगा। दौलत बेग ओल्डी के साथ काराकोराम भारत के लिए रणनीतिक और सामरिक तौर पर अहम है। गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों देशों के बीच शांति के लिए 3 सिद्धांतों का जिक्र किया।

 

राजनाथ सिंह ने तीन सिद्धांतों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों ही देशों को एलएसी का सम्मान करना होगा। दोनों पक्षों में से किसी को भी यथास्थिति में एकतरफा बदलाव से बचना चाहिए। अब तक हुए सभी करारों का सम्मान किया जाना चाहिए। राजनाथ सिंह ने कहा कि फिलहाल हमारा फोकस पैगोंगे लेक से दोनों सेनाओं के बीच तैनाती को खत्म करने पर है। इसके बाद अगले राउंड में हम देपसांग पर बात करेंगे। इसके अलावा 6 रूटों पर पैट्रोलिंग के मसले पर बात की जाएगी। जहां दोनों देशों की सेनाओं की तैनाती बढ़ी है।

ज्ञात हो कि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर पिछले नौ महीनों से जारी तनाव को कम करने की दिशा में भारत और चीन के बीच एक अहम समझौता हुआ है। भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया। बुधवार की सुबह ही दोनों देशों के सैनिक पीछे हटना शुरू कर दिए। पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से तोपें भी पीछे हट रही हैं। अब तक चीन की ओर से 200 से ज्यादा तोपों को यहां से हटा लिया गया है। चीन के सामरिक हथियार हटने के साथ ही भारतीय पक्ष ने कमी की है।