दीपावली.. यानी दीपों का त्योहार.. ये एक ऐसा पर्व है जिस दिन पूरा देश दीपों के उजाले से जगमगा उठता है. इस रोशनी के लिए सालो-साल इंतजार करते हैं, और घर को अच्छे से सजाते हैं. दीवाली से पहले ही लोग अपने घरों की अच्छे तरीके से सफाई कर लेते हैं. इसके बाद त्योहार को पूरी धूम धाम के साथ मनाते हैं. दीवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा हमेशा से ही चली आ रही है. कहते हैं कि इस दिन मां लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं. इसलिए लोग उन्हें खुश करने के लिए सारे जतन करते हैं. ताकि सालभर ऐसे ही मां लक्ष्मी की कृपा लोगों पर बनी रहे.
इस साल दीवाली का त्योहार 14 नवंबर यानी शनिवार को ही पड़ रहा है. ज्योतिषीय गणना की माने तो इस बार 499 साल बाद कुछ अद्भुत संयोग बन रहा है. जी हां देवगुरु बृहस्पति अपनी स्वराशि धनु में तो वहीं शनि ग्रह अपनी स्वराशि मकर में होंगे. जबकि शुक्र देव कन्या राशि में प्रवेश कर चुके हैं. कहा जा रहा है कि, ग्रहों का ऐसा संयोग साल 1521 में बना था.
इन राशियों के लिए शुभ होगा दिन
खास बात तो ये है कि, ग्रहों का ऐसा संयोग बनना कई राशियों के लिए शुभ माना जा रहा है. ज्योतिषियों की माने तो देवगुरु बृहस्पति और शनि ग्रह के अपनी स्वराशि में होने की वजह से इसका विशेष लाभ कुछ राशि के जातकों पर अच्छा पड़ने वाला है. दीपावली का ये शुभ त्योहार वृषभ, कर्क, तुला और कुंभ राशि के जातकों के लिए अच्छे संकेत लेकर आएगा. हालांकि इस दौरान मिथुन, सिंह और कन्या राशि वालों को थोड़ा सावधानी बरतने की जरूरत है.
बन रहा सर्वार्थ सिद्धि योग
इसके साथ ही इस साल की दीवाली पर 11 नवंबर से लेकर 14 नवंबर तक सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग भी बन रहा है. बता दें कि ये मुहूर्त वाहन खरीदने वालों के लिए ज्यादा शुभ कहा जा रहा है. यही नहीं बल्कि किसी नए व्यापार को शुरू करने के लिए भी इससे अच्छा संयोग कोई दूसरा नहीं है. ये अवधि बहुत ही लाभकारी मानी जा रही है.
नरक चतुर्दशी के दिन स्नान करने का मुहूर्त
नरक चतुर्दशी पर स्नान करने का समय शुक्रवार को सुबह 5 बजकर 23 मिनट से शुरू हो गया था और 6 बजकर 43 मिनट पर समाप्त हो गया था. इसके बाद बात करें चतुर्दशी तिथि की तो ये दोपहर 1 बजकर 16 मिनट पर खत्म हो जाएगी. जबकि अमावस्या तिथि 15 नवंबर की सुबह 10 बजे जाकर समाप्त होगी.
दीवाली के दिन करें ये खास उपाय
दीवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, मां लक्ष्मी के साथ इस दिन लोग गणेश जी की भी पूजा करते हैं. इसके साथ ही, हनुमानजी, यमराज, चित्रगुप्त, कुबेर, भैरव, कुलदेवता और अपने पितरों की भी पूजा करना न भूलें. याद रहे कि मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु का भी पूजन करें.