सिद्धू मूसेवाला की अंधाधुंध गोलियां बरसाकर की गई हत्या के बाद पंजाब सरकार एक्शन में आ गई है। राज्य की जेलों से चल रहे गैंगस्टरों के नेटवर्क को खत्म करने के लिए सरकार ने नई योजना तैयार की है। जेलों में बंद गैंगस्टरों तक पहुंच रहे मोबाइल फोन ऐसा जरिया बन चुके हैं, जिनके जरिए वे खतरनाक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। सरकार नई योजना के तहत पंजाब की जेलों में इंटेलिजेंस अफसरों की तैनाती करेगी। जेल में जैमर खराब या बंद होने की जिम्मेदारी भी इन्हीं अफसरों की होगी। इंटेलिजेंस अफसरों की टीम जेल में बंद गैंगस्टरों और आतंकियों की बैरकों की दिन में 2 बार जांच करेगी।
जेल मंत्री हरजोत बैंस ने कहा है कि इस नई योजना के बाद पंजाब की जेलों से गैंगस्टरों का नेटवर्क चलाना मुश्किल हो जाएगा। जेल में अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। उन्होंने बताया कि सरकार जेल में रिक्त पड़े वार्डनों के पदों को भी जल्द भरेगी। उन्हें कमांडो ट्रेनिंग दिए जाने की भी योजना है, ताकि जेलों में बंद गैंगस्टरों को काबू किया जा सके। जेल मंत्री ने कहा है कि जेल में जो भी अधिकारी गैंगस्टरों से मिले होंगे, उनके खिलाफ सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी।
उल्लेखनीय है कि पंजाब पुलिस के अनुमान के मुताबिक राज्य में कम से कम 45 गैंगस्टर सक्रिय हैं। भारत और विदेशों में बैठे गैंगस्टर कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के लिए युवाओं को काम पर रख रहे हैं।
2017 में कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद गैंगस्टरों के खिलाफ एक मुहिम छेड़ी थी। तब सरकार ने राज्य में 545 गैंगस्टरों की पहचान करवाई थी। विक्की गौंडर, प्रेमा लाहौरिया और जयपाल जैसे जाने-माने अपराधियों का सफाया करते हुए पुलिस ने उनमें से 500 के खिलाफ कार्रवाई की थी। हालात ऐसे हो गए थे कि विक्की गौंडर के एनकाउंटर के बाद डर से कुछ गैंगस्टरों ने खुद ही सरेंडर कर दिया था। इनमें से कुछ अभी भी जेल में बंद हैं। इन 500 गैंगस्टरों में से 250 के करीब अभी भी जेल में हैं, जबकि कुछ पंजाब से अन्य राज्यों में भाग गए हैं।