पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मामले में सिटिंग जज से जांच कराने की मांग को ठुकरा दिया है. पंजाब सरकार ने इस संबंध में हाईकोर्ट को एक पत्र भेजा था. जानकारी के मुताबिक, उच्च न्यायालय ने सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि वह इस उद्देश्य के लिए किसी न्यायाधीश को मुहैया नहीं करवा सकता. घटनाओं की वर्तमान न्यायाधीशों द्वारा जांच के लिए सरकारों और अन्य लोगों की दलीलें असामान्य नहीं हैं. अतीत में भी इस तरह के मामलों में कभी किसी सिटिंग जज से जांच की मांग नहीं की गई है.
जानकारों का भी मानना है कि हाईकोर्ट पहले ही 38 जजों की कमी से जूझ रहा है और कोर्ट में 4,49,112 मामले लंबित पड़े हुए हैं. ऐसे में सिटिंग जज से जांच संभव नहीं है. एक रिपोर्ट के मुताबिक तकरीबन 12 साल पहले ‘डेड मैन वाकिंग केस’ में उच्च न्यायालय ने सबूत और बयान दर्ज कर जांच करने का काम अपने हाथ में लिया था. मामले में न्यायमूर्ति मेहताब सिंह गिल और न्यायमूर्ति जितेंद्र चौहान की खंडपीठ ने तब पंजाब राज्य को मामले में फंसे पांच लोगों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था. आरोपित पांच साल तक सलाखों के पीछे रहे थे. घटना के शिकार लोगों में से एक ने अपना जीवन समाप्त कर लिया था.
सरकार ने लिखा था हाईकोर्ट को पत्र
पंजाब सरकार ने बीते सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को पत्र लिखकर हाईकोर्ट के मौजूदा जज से जांच कराने की मांग की थी. गृह मामलों और न्याय विभाग के प्रधान सचिव अनुराग वर्मा ने अपने पत्र में लिखा था, ‘सरकार इस गंभीर घटना को लेकर बहुत चिंतित है. इस जघन्य अपराध के अपराधियों को सजा दिलाने के लिए वह इस मामले की जड़ तक जाना चाहती है. इसलिए मुझे माननीय मुख्यमंत्री ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच कराने का अनुरोध करने का निर्देश दिया है.’
पिता ने की थी मांग
इससे पहले सिद्धू मूसेवाला के पिता ने पंजाब के सीएम मान को चिट्ठी लिखकर बेटे की हत्या की सीबीआई, एनआईए अथवा हाई कोर्ट के मौजूदा जज से जांच कराने की मांग की थी. इस पर सहमति जताते हुए भगवंत मान ने जज से हत्याकांड की जांच कराने के आदेश दिए थे.