चुनाव नजदीक आते ही सोशल मीडिया पर शिकायतों, झूठी सूचनाओं और अफवाहों पर पुलिस की पैनी नजर रहती है। ऐसे मामलों में पुलिस ने उत्तर प्रदेश में एक हजार से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए हैं। 35 हजार से ज्यादा पोस्ट के खिलाफ संबंधित कंपनी को कार्यवाई के लिए रिपोर्ट किया है। सौ से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सोशल मीडिया पर लगाम और सख्त पुलिसिंग की वजह से पिछले तीन सालों में कोई दंगा या सांप्रदायिक तनाव नहीं हुआ है। यह आंकड़े नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो आंकड़े बता रहे है। उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव वाली घटनाओं में खासा कमी आयी है। इसमें बड़ी भूमिका सोशल मीडिया ने निभाई है। सीएम योगी के निर्देश पर सोशल मीडिया पर झूठ या अफवाह फैलाने वालों पर सख्ती से कार्यवाई की जा रही है। नवम्बर 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा श्रीराम जन्मभूमि के फैसले के बाद सिर्फ पांच दिनों में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले पर 78 मुकदमे दर्ज किए गये। साथ ही 14,380 सोशल मीडिया पोस्ट पर कार्यवाई के लिए संबंधित कम्पनी को रिपोर्ट किया गया।
CAA प्रोटेस्ट के दौरान ज्यादा मामले आए
उत्तर प्रदेश में CAA को लेकर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर किए गए आपत्तिजनक, भ्रामक, पोस्ट, मैसेज और वीडियो आदि को लेकर 2019 में 10 से 27 दिसंबर के बीच कुल 95 मुकदमे दर्ज किये गये। 120 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान कुल 21,388 सोशल मीडिया पोस्ट के ऊपर कार्यवाई के लिए संबंधित कम्पनी को रिपोर्ट किया गया। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर 889 मुकदमे दर्ज किए गये। इनमें से 225 मुकदमे अफवाह या भ्रामक सूचना से संबंधित टिप्पणी, 454 मुकदमे सांप्रदायिक सद्भाव को प्रभावित करने वाली टिप्पणी और 210 मुकदमे अन्य विभिन्न प्रकार की टिप्पणियों के बारे में भी किए गये।
सोशल मीडिया से शिकायतों का भी हुआ निस्तारण
पुलिस ने सोशल मीडिया पर शिकायत करने वालों की भी मदद की है। सोशल मीडिया पर चार सालों में 29 लाख 25 हजार शिकायतें मिलीं हैं। छह लाख 25 हजार 160 शिकायतें कार्यवाई योग्य मिलीं और कार्यवाई भी की गई। इसके अलावा थानों में शिकायतों की हीलाहवाली करने पर 14,462 मुकदमे सोशल मीडिया के माध्यम से दर्ज कराया गया है। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान सिर्फ अप्रैल में करीब एक लाख 70 हजार ट्वीट पुलिस को मिले, जिनमें से अधिकांश आपातकालीन संचलन की अनुमति, भोजन-खाद्य पदार्थ की आपात व्यवस्था, चिकित्सीय सहायता, कोरोना संदिग्ध व्यक्तियों की सूचना और लॉकडाउन के उल्लंघन से संबंधित थे।