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धर्म संसद में नफरती भाषणों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस, 10 दिनों बाद अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हाल में आयोजित हुए कार्यक्रमों में कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण देने वाले लोगों के खिलाफ जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर बुधवार को केंद्र और अन्य से जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने पत्रकार कुर्बान अली और पटना उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश की याचिका पर नोटिस जारी किए। सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कथित आपत्तिजनक भाषणों के इस मामले में अगली सुनवाई 10 दिनों के बाद करेगा।

Supreme Court declares Maratha quota law unconstitutional - The Hindu

याचिका में नफरत फैलाने वाले भाषण देने की घटनाओं की एसआईटी (विशेष जांच दल) से ”स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच कराने” का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया है। पीठ ने याचिकाकर्ताओं को भविष्य में ‘धर्म संसद’ आयोजित करने के खिलाफ स्थानीय प्राधिकरण को अभिवेदन देने की अनुमति दी। न्यायालय ने मामले में आगे की सुनवाई को 10 दिन बाद के लिए सूचीबद्ध किया।

 

याचिका में विशेष तौर पर 17 और 19 दिसंबर 2021 को हरिद्वार और दिल्ली में दिए गए कथित रूप से नफरत पैदा करने वाले भाषणों का उल्लेख किया गया है और शीर्ष अदालत से ऐसे भाषणों से निपटने के लिए दिशानिर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया कि एक कार्यक्रम हरिद्वार में यति नरसिंहानंद की तरफ से और दूसरा कार्यक्रम दिल्ली में ‘हिंदू युवा वाहिनी’ की तरफ से आयोजित किया गया था और इन कार्यक्रमों में एक विशेष समुदाय के सदस्यों के नरसंहार का कथित तौर पर आह्वान किया गया था।