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धनतेरस पर लगा महंगाई का बड़ा झटका, दिल्ली में पेट्रोल के दाम 110 रुपये के पार

 क्या अब पेट्रोल की कीमतों में तेजी रुकने वाली नहीं है? क्या दाम अब 150 रुपये प्रति लीटर के स्तर को छूने वाले है? ऐसे ही सवालों की चर्चा आजकल हो रही है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है. इसीलिए घरेलू स्तर पर तभी राहत मिलेगी. जब सरकार कोई बड़ा कदम उठाएगी. अगर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का रुख बना रहा और ये 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचती है तो वो दिन भी मुमकिन है. जब देश में पेट्रोल के दाम 150 रुपये प्रति लीटर हो सकते है. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के पन्ना, सतना, रीवा, शहडोल, छिंदवाड़ा और बालाघाट में अब पेट्रोल 120 रुपये प्रति लीटर के पार हो गया है.इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा जब एक महीने में पेट्रोल-डीजल की कीमत में 24 बार बढ़ोतरी हुई है.

आज की बात करें तो मंगलवार को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल के दाम बढ़कर 110.08 रुपये हो गए है. वहीं, डीज़ल कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर की दहलीज पर खड़ी है.

पेट्रोल-डीज़ल के नए रेट्स (Petrol Diesel Rates Today)

शहर  पेट्रोल (रुपये/लीटर)  डीज़ल (रुपये/लीटर)
नई दिल्‍ली 110.08 98.44
मुंबई 115.83 106.59
कोलकाता 110.47 101.53
चेन्‍नई 106.65 102.57
लखनऊ 106.94 98.89

क्या आपके शहर में एक लीटर पेट्रोल 150 रुपये होने वाला है?

एस्कॉर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल ने TV9 हिंदी को बताया कि ब्रोकरेज हाउस गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट में कच्चे तेल की कीमतें 110 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने का अनुमान जताया गया है.

अगर ऐसा होता है और सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो भारत में भारत में पेट्रोल की कीमतें 150 रुपए लीटर हो सकती हैं. डीजल की कीमतें 140 रुपए लीटर तक जा सकती हैं.

अभी क्या है कच्चे तेल के दाम और क्या है नया अनुमान

अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड के दाम 85 डॉलर प्रति बैरल हो गए है. मौजूदा समय में क्रूड के दाम कई साल के उच्चतम स्तर पर है. कोरोना महामारी के बाद की डिमांड बढ़ने के बाद कच्चे तेल का एक्सपोर्ट करने वाले देशों के संगठन और रूस के नेतृत्व वाले सहयोगियों, या ओपेक + से मदद मिली है. अब धीरे-धीरे, हर महीने उत्पादन में 400,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) की तेजी आई है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने ओपेक+ देशों से  सप्लाई बढ़ाने के लिए कदम उठाने को कहा है. क्योंकि ग्लोबल अर्थव्यवस्था में मजबूत सुधार के लिए उत्पादन को बढ़ावा देना जरूरी है. साथ ही, अन्य जी20 ऊर्जा उत्पादक देशों से क्रूड उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया है.