भारत सरकार द्वारा ‘बेटी बचाओ अभियान’ और नारी सशक्तिकरण जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं. वहीं, अब आम लोग भी जागरूक होते हुए कुप्रथाओं को पीछे छोड़, समय के साथ चलने का प्रयास कर रहे हैं. इसका जीता-जागता उदहारण उन्नाव जिले सेवाखेड़ा गांव का है. यहां घर के बाहर लिखा है- ‘दहेज मुक्त आवास’. अब यहां शादी के लिए कोई कर्ज नहीं लेता. उन्नाव के बिछिया ब्लॉक में पड़ने वाला गांव सेवाखेड़ा जिले का पहला दहेज मुक्त गांव बन गया है. उसे यह तमगा लगभग साल भर की मशक्कत के बाद मिला है. अब जैसे ही गांव में घुसेंगे सामने ही आपको दहेज मुक्त गांव का बोर्ड लगा मिलेगा. जागरूकता का आलम यह है कि अब यहां के लड़के और लड़कियों ने भी ठान लिया है कि न दहेज देंगे और न ही दहेज लेंगे. गांववालों के मुताबिक, ‘मिशन शक्ति’ अभियान के तहत गांव दहेज मुक्त हो पाया है. अब गांव वाले ही आसपास के गांव वालों को भी जागरूक कर रहे हैं.
सेवाखेड़ा गांव की आबादी लगभग 400 के आसपास है. ज्यादातर परिवार कृषि या मजदूरी से जुड़े हुए हैं. कई परिवारों के सदस्य गुजरात कमाने गए हुए हैं. गांव में जगह-जगह दहेज को लेकर अलग-अलग स्लोगन लिखे गए हैं. यही नहीं, हर घर के आगे नेम प्लेट की जगह दहेज मुक्त आवास का बोर्ड लगा हुआ है.
उत्तर प्रदेश: उन्नाव ज़िले के बिछिया विकासखंड का सेवा खेड़ा गांव 'दहेज मुक्त' गांव हो गया है।
विकास खंड पुरवा के ग्राम विकास अधिकारी पुत्तन लाल पाल ने बताया,''मैं और मेरी संस्था के पदाधिकारियों ने 18 अक्टूबर 2020 से ज़िले में 'दहेज प्रथा का अंत कब' शीर्षक से मुहिम चलाई।''(27.09) pic.twitter.com/gJkmkSWRtg
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 28, 2021
गांव के ही हरि प्रसाद पाल का कहना है कि इसका मकसद यही है कि हम कहीं से भी भटकने न पाएं. वहीं साल भर पहले 80 परिवारों वाले गांव में 78 परिवार शादी के दौरान लिए गए कर्ज में डूबे थे. 2 परिवारों में सरकारी नौकरी वाले हैं तो उन्हें बहुत फर्क नहीं पड़ा. हालांकि, अब सभी परिवार लगभग कर्ज मुक्त हो चुके हैं. वहीं, उन्नाव के ग्राम विकास अधिकारी पुत्तन लाल पाल ने लोगों को जागरूक करने का काम किया है. पुत्तन लाल पाल एक सामाजिक संस्था भी चलाते हैं, जिसका नाम नवयुग जन चेतना समिति है. इसी सामाजिक संस्था ने इस गांव के सभी लोगों को दहेज कुप्रथा के खिलाफ जागरूक किया और यह भी समझाया कि दहेज एक सामाजिक बुराई है, जिसे रोकना जरूरी है. संस्था की सालों की मेहनत का परिणाम सामने है. इस गांव के लोग दहेज के खिलाफ होकर अपने गांव को दहेज मुक्त गांव बना चुके हैं.