दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध स्थल सियाचिन में खून जमा देने वाली ठंड के बीच आठ दिव्यांगों के दल ने हौसले की गर्मजोशी से विश्व कीर्तिमान बना डाला। सेना के ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम एक्सपेडीशन के तहत दृष्टिबाधित व टांग गंवा चुके इन साहसिक दिव्यांगों ने पांच दिन में 60 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ी। सियाचिन ग्लेशियर की 15,632 फुट की ऊंचाई पर स्थित कुमार पोस्ट पर एक साथ सर्वाधिक संख्या में दिव्यांगों के पहुंचने से विश्व कीर्तिमान बन गया।
इस दल को सेना की विशेष बलों के वेटरन की टीम ने प्रशिक्षित किया था। सैन्य प्रवक्ता ने बताया कि पांच दिन के इस चुनौतीपूर्ण टास्क को सात सितंबर को शुरू कर 11 सितंबर को सफलतापूर्वक पूरा किया गया। 60 किलोमीटर के बेहद मुश्किल सफर के साथ ही दिव्यांगों के दल ने चार हजार फुट की ऊंचाई चढ़कर विश्व रिकॉर्ड बनाया है। शारीरिक और मानसिक मजबूती की मिसाल बने दिव्यांगों के दल का हौसला देख भारतीय सेना के जवान भी हतप्रभ रह गए। आठ सदस्यीय दल को रोजाना 15 किलोमीटर चलना पड़ता था। सफर में दल का सामना ग्लेशियर की खाई नुमा बड़ी-बड़ी दरारों, फौलाद सी सख्त बर्फीली सतह, बर्फीले पानी की धाराओं और पथरीले रास्ते पर खून जमा देने वाली ठंड से होता। 15 किलोमीटर का फासला शाम चार बजे से पहले पूरा करना होता था।
बर्फीली हवाओं से गला सूखने लगता। इसके बावजूद सीढ़ी, बर्फ पर चलने में मददगार उपकरण और रस्सियों के साथ सियाचिन ग्लेशियर पर चलते हुए दल ने विशेष कौशल का प्रदर्शन किया। यह न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक मजबूती की अनोखी कसौटी थी, जिस पर दल पूरी तरह से खरा उतरा।
सैन्य जवान बढ़ाते रहे हौसला
दिव्यांगों का दल जहां से भी गुजरा, सैन्य जवानों का उन्हें स्नेह और हौसला अफजाही मिलती रही। दल की ओर से साहसिक प्रदर्शन पर सैन्य जवानों ने दिव्यांगों के प्रति सम्मान का भाव भी व्यक्त किया।