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तिरंगा रैली में शामिल हुए इसलिए मर डाला, सुनील भट्ट की हत्या पर बोला आतंकी संगठन

जम्मू-कश्मीर के शोपियां (Shopian in Jammu and Kashmir) में आतंकियों ने दो कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) पर हमला किया। इसमें से एक सुनील भट्ट (Sunil Bhatt) की मौत हो गई है। वहीं कश्मीरी पंडित पिंटू कुमार (Kashmiri Pandit Pintu Kumar) को अस्पातल में भर्ती कराया गया है। आतंकी संगठन केएफएफ (कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। आतंकी संगठन (terrorist organization) का कहना है कि सुनील भट्ट तिरंगा रैली में गए थे इसलिए उनकी हत्या की गई। जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस के दिन भी आतंकियों ने दो जगहों पर ग्रेनेड अटैक किए थे। कुछ दिन पहले ही बडगाम में मुठभेड़ के दौरान आतंकी लतीफ राथर मारा गया था। इसके बाद दूसरी बार आम नागरिक पर आतंकियों ने हमला किया है।

बताया जा रहा है कि आतंकियों ने सुनील पर हमला करने से पहले उनका नाम पूछा और फिर मार दिया। घटना के बाद से लोगों में आक्रोश है। सुनील भट्ट् की चार बेटियां हैं जिनका रो-रोकर बुरा हाल है। सुनील की हत्या ने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया है। सुनील के पड़ोसी ने बताया कि वह अपने भाई पिंटू के साथ बाग में काम कर रहे थे। इसके बाद आतंकी उनके पास पहुंचे और नाम पूछा। फिर आतंकियों ने गोली चला दी। एक गोली पिंटू को भी लगी। लोगों का कहना है कि जिस तरह से हमला किया गया है, ऐसा लगता है कि कई दिनों से उनकी रेकी की जा रही थी।

भाजपा नेता निर्मल सिंह ने कहा, आतंकियों ने एक बार फिर कायराना हरकत की है। सुनील कुमार अपना काम कर रहे थे फिर भी आतंकियों ने उनकी हत्या कर दी लेकिन वे अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाएंगे। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने भी इस घटना पर दुख जताया है। उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के फैसलों की वजह से ही जम्मू-कश्मीर के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।

बता दें कि कश्मीर में इन दिनों टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ी हैं। 12 मई को एक सरकारी कर्मचारी कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद 17 मई को बारामूला में 52 साल के कारोबारी को मार दिया गया। 25 मई को टीवी ऐक्ट्रेस अमरीन भट्ट की बडगाम में हत्या की गई। 31 मई को कुलगाम में एक टीचर रजनी बाला को निशाना बनाया गया। 2 जन को बडगाम में 17 साल के प्रवासी मजदूर की हत्या कर दी गई। 4 अगस्त को धारा 370 हटने की बरसी से ठीक एक दिन पहले पुलवामा में बिहार के प्रवासी मजदूर की हत्या कर दी गई।