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तालिबान ने काबुल की अराजकता के लिए गनी को ठहराया जिम्मेदार, 16.9 करोड़ डॉलर पर कही ये बात

तालिबान ने दुनिया के सामने फिर एक नया चेहरा दिखाया है। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी को काबुल में फैली अराजकता के लिए जिम्मेदार ठहराया है। तालिबान ने कहा है कि अशरफ गनी जो कुछ भी अपने साथ लेकर गए हैं, उन्हें अफगानिस्तान को लौटाना होगा। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के बाद फैली अराजकता के लिए अशरफ गनी को जिम्मेदार ठहाराया है। तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि अशरफ गनी ने अचानक सरकार छोड़कर गलती की थी। सुहैल शाहीन ने कहा कि तालिबान काबुल में सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की उम्मीद कर रहे थे। तालिबान के लड़ाके काबुल के गेट पर इंतजार कर रहे थे। अशरफ गनी अचानक काबुल छोड़ कर चले गये। इससे काबुल में लूटपाट और गोलीबारी की घटनाएं हुई हैं।

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सरकार गठन पर जोर

सुहैल शाहीन ने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी अफगानिस्तान से लिया है, अगर वह उनसे संबंधित नहीं है तो बाकी चीजें अफगानिस्तान को वापस करनी होंगी। तालिबान द्वारा अशरफ गनी का पीछा करने की कोई मंशा नहीं है। तालिबान का ध्यान अब काबुल में नई सरकार के गठन पर है।

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति काबुल से पैसा लेकर भागने की खबरों का खंडन कर चुके हैं। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश में तालिबान की वापसी के बाद काबुल छोड़कर भागने के अपने फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि खून-खराबा रोकने का यही एक रास्ता था। उन्होंने ताजिकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत के उन दावों को भी खारिज कर दिया कि उन्होंने राजकोष से लाखों डॉलर की चोरी की है। गनी ने अपने फेसबुक पेज पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिससे यह पुष्टि हो गयी कि वह संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में हैं।

उन्होंने अपने संदेश में अफगान सुरक्षा बलों का शुक्रिया अदा किया लेकिन साथ ही कहा कि ‘शांति प्रक्रिया की नाकामी’ के कारण तालिबान ने सत्ता छीन ली। उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर ताजिकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत के उन आरोपों को भी खारिज करने की कोशिश की कि उन्होंने राजकोष से 16.9 करोड़ डॉलर चोरी किए। उन्होंने दावा किया कि उन्हें एक जोड़ी पारंपरिक कपड़ों और सैंडल में अफगानिस्तान छोड़ना पड़ा, जो उन्होंने पहन रखे थे। गनी ने कहा कि इन दिनों आरोप लगाए गए हैं कि पैसा लिया गया, लेकिन ये आरोप पूरी तरह निराधार हैं। गनी तालिबान के काबुल में घुसने के बाद अफगानिस्तान छोड़कर चले गए थे।