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तालिबान के खिलाफ अफगान महिलाओं ने शुरू किया प्रदर्शन, रखी ये मांग

तालिबान (Taliban) महिलाओं को अफगानिस्तान (Afghanistan) में शिक्षा और नौकरी की अनुमति तो दे रहा है मगर तालिबान नहीं चाहता कि सरकार (Taliban Govt) में महिलाओं की कोई हिस्सेदारी हो। अफगानिस्तान की महिलाओं को तालिबान की ये बातें पसंद नहीं आई और अब उन्होंने तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। महिलाओं ने कहा कि किसी भी देश की सरकार का कैबिनेट महिलाओं के बिना सफल ही नहीं हो सकता।

काबुल में अफगानी महिलाओं का प्रदर्शन

एक ओर जहां तालिबान नई सरकार की घोषणा करने वाला है, वहीं दूसरी ओर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अफगान महिलाएं अपने अधिकारों के लिए मोर्चा खोल रही हैं। इन महिलाओं के हाथ में मौजूद पोस्टर्स में महिलाओं को उनका अधिकार और आजादी देने की अपील की गई है। ये महिलाएं अफगानिस्तान की नई सरकार में महिलाओं को स्थान देने की की मांग कर रही हैं।

तालिबान ने की ये घोषणा

तालिबान ने अपनी सरकार में महिलाओं को स्थान नहीं देने की घोषण की है। ऐसे में काबुल के प्रेसीडेंशियल पैलेस के पास हुए इस प्रदर्शन में अफगान महिलाओं ने दुनिया के सामने अपनी बात रखने का फैसला किया है।

‘कामयाब नहीं होगी तालिबानी सरकार’

महिला प्रदर्शनकारी फातिमा के अनुसार हम प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि महिलाओं की उपस्थिति के बिना कोई भी समाज समृद्ध नहीं बन सकता। यदि किसी देश में, किसी समाज में, किसी मंत्रालय या कैबिनेट में महिलाएं मौजूद नहीं हैं तो वो देश या कैबिनेट सफल नहीं हो सकता। तालिबान के राज में महिलाओं पर कई पाबंदियां लगाई गई थीं। मगर तालिबान का राज समाप्त होने के बाद महिलाओं ने अपनी पढ़ाई भी पूरी की और कई क्षेत्रों में नौकरियां भी कर रही थीं। मगर एक बार फिर से तालिबान का राज आने के बाद महिलाओं को सबकुछ समाप्त होने का डर सता रहा है।

प्रदर्शनकारी हसीना बख्तारी के अनुसार हम अफगानी महिलाओं ने 20 वर्षों तक खूब मेहनत की है, पढ़ाई की है और शिक्षा में विशेषज्ञता हासिल की है, मगर आज हमें कैबिनेट से हटा दिया गया है। हम अपने मानवाधिकार चाहते हैं। तालिबान ने शरिया कानून को लागू करते हुए महिलाओं की पढ़ाई, नौकरी और अकेले निकलने पर पाबंदी इससे पहले लगाई थी। इस बार भले ही तालिबान महिलाओं को अधिकार देने की बात कर रहा है मगर दुनिया को तालिबान के वादों पर भरोसा नहीं है।

अफगानिस्तान की महिलाओं ने ही थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए आवाज उठानी शुरू की है। अब दुनिया की निगाहें तालिबान पर है कि क्या इन महिलाओं को नई कैबिनेट में स्थान और उनका हक दिया जाएगा या फिर इनकी आवाज बंदूकों की नोक के कारण दबा दी जाएगी।