कोरोना की उत्पत्ति से जुड़ी अगले दौर की जांच को चीन ने खारिज कर दिया है। चीन ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा दूसरे चरण की जांच का फैसला तर्कसंगत नहीं है। हालांकि लैब से वायरस लीक होने को लेकर चीन चौतरफा घिरता नजर आ रहा है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने भी आंखें तरेरी हैं। डब्ल्यूएचओ द्वारा वायरस की उत्पत्ति से जुड़ी जांच टीम में शामिल चीन के वैज्ञानिक प्रो. लियांग वानियन का कहना है कि अगले चरण की जांच में उन सभी देशों को शामिल करना चाहिए जहां चमगादड़ और पैंगोलिन्स रहते हैं।
इसके अलावा कोल्ड चेन के जरिए वुहान में इसकी आपूर्ति करने वालों को भी जांच के दायरे में शामिल करना चाहिए। चीन के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि लैब से वायरस के लीक होने की थ्यौरी के आधार पर दोबारा जांच स्वीकार नहीं है और उपयुक्त भी नहीं है।
डब्ल्यूएचओ को सहयोग की उम्मीद
चीन ने ये बात तब कही है कि जब डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वो वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई इसकी तह तक जाने के लिए दूसरे चरण की जांच करेगा। डब्ल्यूएचओ ने ये भी उम्मीद जताई है कि चीन समेत दुनिया के सभी देश इसमें सहयोग करेंगे। लैब से वायरस लीक हुआ इसकी जांच के लिए वुहान के लैब में एक विशेष टीम भी भेजनी थी।
प्रोटीन आधारित टीका वायरस को देगा चकमा
कोरोना वायरस से लड़ाई की दिशा में वैज्ञानिकों को एक और कामयाबी हाथ लगी है। अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के वैज्ञानिकों ने प्रोटीन आधारित टीका बनाया है जिसकी मदद से कोरोना वायरस को चकमा दिया जा सकता है। एसीएस सेंट्रल साइंस जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार चूहों पर अध्ययन में वैज्ञानिकों ने देखा है कि इस वैक्सीन के लगने के बाद चूहों में इम्युन सिस्टम सक्रिय हुआ है और बड़ी संख्या में रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन का भी सृजन हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन की तरह ही इसमें भी स्पाइक बनता है जो वायरस को शरीर में प्रवेश करने से रोकता है। पॉलीमरसोम्स तकनीक पर आधारित इस वैक्सीन के जरिए लंबे समय तक वायरस के खिलाफ सुरक्षित रहने का दावा भी किया जा रहा है। वैक्सीन में मौजूद एडजुवेंट्स तत्व रोग प्रतिरोधक तंत्र को अधिक मजबूत बनाता है।