टेरर फंडिंग (terror funding) को लेकर NIA ने बड़ा खुलासा किया है. मुंबई में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने और बड़ी सनसनीखेज घटनाएं करने के लिए भगोड़े गैंगस्टर दाऊद (fugitive gangster dawood) इब्राहिम और उसके करीबी छोटा शकील ने पाकिस्तान से दुबई (Pakistan to Dubai) के रास्ते 25 लाख रुपये नकद भेजा. यह पैसा भारत में सूरत के रास्ते मुंबई पहुंचा. हवाला चैनलों का उपयोग कर इसे आरिफ शेख और शब्बीर शेख (Arif Sheikh and Shabbir Sheikh) तक पहुंचाया गया. इसका खुलासा एनआईए द्वारा शनिवार को दाऊद, शकील, उसके साले मोहम्मद सलीम कुरैशी उर्फ सलीम फ्रूट और दो शेखों के खिलाफ दायर चार्जशीट में किया गया है.
TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक आतंकवादी नेटवर्क (global terrorist network) और डी कंपनी द्वारा संचालित संगठित अपराध सिंडिकेट से संबंधित मामले में, शब्बीर ने आरिफ के कहने पर 29 अप्रैल को मलाड (पूर्व) में एक हवाला ऑपरेटर से आतंकवादी गतिविधियों (terrorist activities) को अंजाम देने के लिए यह राशि प्राप्त की. टेरर फाइनेंसिंग केस चार्जशीट में, एनआईए ने कहा कि पिछले चार सालों में, ‘गवाह 6’ के माध्यम से हवाला लेनदेन के जरिए लगभग 12 से 13 करोड़ रुपये भेजे गए हैं. वहीं गवाह सूरत का एक हवाला ऑपरेटर है जिसकी पहचान सुरक्षा कारणों से सुरक्षित है.
जांच के दौरान यह भी पता चला है कि राशिद मरफानी, उर्फ राशिद भाई, दुबई (Dubai) में वांछित गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और छोटा शकील के हवाला मनी ट्रांसफर (जिसे ‘गंदे संदेश’ कहा जाता है) के काम को भारत (India) भेजने के लिए स्वीकार करता था. NIA की चार्जशीट में दाऊद, शकील, उसके साले सलीम फ्रूट, आरिफ शेख और शब्बीर शेख को नामजद किया गया है. अंतिम तीन को गिरफ्तार कर लिया गया है.
एनआईए ने अपने चार्जशीट में बताया कि कैसे 25 लाख रुपये पाकिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भेजे गए थे, एनआईए ने दावा किया कि शब्बीर ने 5 लाख रुपये रखे थे और बाकी आरिफ को एक गवाह के सामने दिए थे. एनआईए ने कहा कि यह ध्यान रखना उचित है कि 9 मई, 2022 को उनके घर की तलाशी के दौरान ए -2 (शब्बीर) से 5 लाख रुपये बरामद किए गए थे.
एनआईए ने संकेत दिया कि गंदा पैसा भारत से लेकर फाइनेंसरों तक दोनों तरफ से बह रहा था. इसने विशेष रूप से जबरन वसूली के पांच अलग-अलग उदाहरणों को सूचीबद्ध किया है. एक में, आरिफ और शब्बीर द्वारा हवाला चैनलों के माध्यम से एक दशक में एक गवाह से लगभग 16 करोड़ रुपये की उगाही की गई थी.