वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग को लेकर हिंदू पक्ष द्वारा दायर की गई याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर वाराणसी की जिला अदालत सोमवार यानी 12 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी. इसके मद्देनजर वाराणसी शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है. सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं. मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में पुलिस बल तैनात है. पुलिस टीम द्वारा पेट्रोलिंग की जा रही है.
वहीं वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने रविवार को बताया कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में जिला अदालत सोमवार को फैसला सुनाएगी. इसी के मद्देनजर एहतियाती कदम के तहत वाराणसी कमिश्नरेट में धारा 144 लागू करने का निर्देश जारी कर दिया गया है. सभी पुलिस अधिकारियों को अपने क्षेत्रों के धर्म गुरुओं के साथ संवाद करने का निर्देश दिया गया है.
जिले की सीमा पर होगी वाहनों की चेकिंग
पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने बताया कि पूरे शहर को सेक्टरों में विभाजित कर सभी सेक्टरों में आवश्यकतानुसार पुलिस बल की तैनाती की गई है. संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च और पैदल गश्त का निर्देश दिया गया है. जिले के संवेदनशील इलाकों में त्वरित कार्रवाई बल तैनात करने को कहा गया है. जिले की सीमाओं पर चेकिंग और सतर्कता बढ़ाने का निर्देश जारी किया गया है. होटलों, धर्मशालाओं और गेस्ट हाउसों में चेकिंग के साथ ही सोशल मीडिया के मंचों पर लगातर नजर रखने का निर्देश जारी किया गया है.
गौरतलब है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग को लेकर वाराणसी के जिला जज ए. के. विश्वेश की अदालत में चल रहा मुकदमा सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हो गई है. अदालत ने इस मामले में आदेश को सुरक्षित रख लिया है. अदालत सोमवार यानि 12 सितंबर को इस पर फैसला सुनाएगी.
हिंदू देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने की मांग
दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की निवासी चार महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिदिन पूजा-अर्चना का आदेश देने के आग्रह वाली एक याचिका पिछले साल सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में दाखिल की थी. सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश पर पिछली मई में ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था.
उपासना स्थल अधिनियम-1991 का उल्लंघन: मुस्लिम पक्ष
इसी बीच, मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे को उपासना स्थल अधिनियम-1991 का उल्लंघन करार देते हुए इस पर रोक लगाने के आग्रह वाली एक याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल की थी. हालांकि न्यायालय ने वीडियोग्राफी सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन मामले की सुनवाई जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था. ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट पिछली 19 मई को जिला अदालत में पेश की गई थी. सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था, जबकि मुस्लिम पक्ष ने उसे फव्वारा बताया था.
मुस्लिम पक्ष ने बहुत पुराने दस्तावेज पेश किए: हिंदू पक्ष
मुस्लिम पक्ष ने इस मामले को उपासना स्थल अधिनियम-1991 के खिलाफ बताते हुए कहा था कि यह मामला सुनवाई के योग्य नहीं है. जिला जज ने इस सिलसिले में दायर याचिका पर पहले सुनवाई करने का निर्णय लिया था. इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो चुकी हैं. हिंदू पक्ष का दावा है कि मुस्लिम पक्ष बहुत पुराने दस्तावेज पेश कर रहा है, जो इस मामले से संबंधित नहीं हैं. बहरहाल अदालत ने यह मामला सुनवाई योग्य है या नहीं इस पर 12 सितंबर को निर्णय सुनाने का फैसला किया है.
हमें विश्वास, हमारा दावा सही: हिंदू पक्ष
वहीं हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी ने कहा कि, कल 7 रूल 11 पर फैसला आएगा. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 2 महीने लगातार सुनवाई की गई. इस फैसले में ये तय होगा कि मुकदमा चलने योग्य है या नहीं. हमें विश्वास है कि हमारा दावा पोषणीय है. सारे साक्ष्य यही कह रहे हैं. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में आदेश देते हुए वाराणसी की जिला अदालत को कहा था कि पहले प्राथमिकता के आधार पर इस याचिका के सुनवाई योग्य होने पर फैसला करें. यानी पहले सुनवाई इस मुद्दे पर हो कि हिंदू पक्षकारों की ये याचिका सुनवाई योग्य है भी या नहीं.