तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा होने के बाद दुनिया के सामने एक संकट खड़ा हो गया है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के साथ ही तालिबानी कोहराम बढ़ गया है। राष्ट्रपति जो बाइडेन सवालों के घेरे में है। दुनिया के सामने बाइडेन भी अमेरिकी सेना की वापसी की वजह से बैकफुट पर आ गए हैं। राष्ट्रपति बाइडेन ने यह भी कहा है कि वह तालिबान पर प्रतिबंध लगाने को लेकर विचार करेंगे, जिससे यह संकेत मिल रहे हैं कि अब अमेरिका तालिबान के खिलाफ एक्शन के मूड में आ गया है। अमेरिका अब तालिबान पर कार्रवाई करेगा। बाइडेन ने कहा कि उनका फैसला ‘तार्किक, तर्कसंगत और सही है। तालिबान ने अमेरिकी सेना की वापसी से दो हफ्ते पहले ही 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। अमेरिका से प्रषिक्षित अफगानिस्तान सेना के जवान तालिबान लड़ाकों के आगे हथियार डाल दिये। अब अफगानिस्तान में रहने वाले हजारों लोग तालिबान के शासन से डरकर देश छोड़ने की होड़ में हैं।
तालिबान पर प्रतिबंध
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि वह तालिबान के खिलाफ प्रतिबंधों पर विचार करेंगे। वह कुछ शर्तों के साथ तालिबान पर प्रतिबंधों का समर्थन करेंगे। जो बाइडेन ने कहा था कि वह अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान से वापस बुलाने के अपने फैसले पर अडिग हैं। मगर उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अफगानिस्तान का सरकार का पतन उम्मीद से ज्यादा तेजी से हुआ। अफगान सेना ने प्रतिरोध नहीं किया।
अफगानियों से की खुद के लिए लड़ने की अपील
बाइडेन ने तालिबान के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अफगानिस्तानियों से अपील की थी कि वे अपने देश के लिए लड़ें। बाइडेन ने कहा कि अफगान नेताओं को एकसाथ आना होगा। उन्हें अपने लिए लड़ना होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि उन्हें अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी का कोई मलाल नहीं है क्योंकि 20 साल से ज्यादा समय में वॉशिंगटन ने इसपर 10 खरब डॉलर से भी ज्यादा खर्च किए हैं और हजारों सैनिकों को खोया है। अफगानिस्तान की लड़ाई अफगानियों को ही लड़ना है।