जापान की राजकुमारी माको ने आखिरकार मंगलवार को अपने बॉयफ्रेंड से शादी कर ली। उनके बॉयफ्रेंड केई कोमुरो जापानी राजवंश से बाहर एक सामान्य नागरिक हैं। शादी के बाद जापानी राजवंश की परंपरा के मुताबिक, राजकुमारी माको की शाही पदवी भी खत्म हो गई। माको ने शाही पदवी छोड़ते हुए अपने प्रेमी के साथ शादी की। जापानी राजवंश की परंपरा के अनुसार राजवंश से बाहर विवाह करने पर राजकुमारी या राजकुमार को लगभग साढ़े सात करोड़ रुपये का हर्जाना भी दिया जाता है।
माको ने इस हर्जाने को लेने से भी इनकार कर दिया है। माको ने बेहद साधारण तरीके से शादी करने का फैसला किया जिसकी तारीफ हो रही है। राजकुमारी माको लगभग चार साल तक अपने प्रेमी से शादी करने के लिए परिवार को मनाती रहीं। माको के प्रेमी का परिवार बहुत सामान्य है। वह अपने परिवार को कई बार मनाने की कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इस दौरान कई विवाद भी माको को झेलना पड़ा। पिछले दो साल तक वह डिप्रेशन का भी शिकार हो गयी थीं।
माको का कहना है कि उन्होंने शाही पदवी, त्याग ये सब अपने प्यार के कारण किया। उन्होंने कहा कि वे जीवन में खुशियां चाहती हैं। आखिरकार उन्हें अब खुशियां नसीब होंगी। उन्होंने कहा कि अब हमारी जिन्दगी खुशहाल होगी। माको ने कहा कि हमारे लिए दिलों के सम्मान और जिंदगी जीने के लिए शादी एक आवश्यक विकल्प है। उन्होंने कहा कि हम दोनों एक दूसरे से अलग नहीं हो सकते हैं और बुरे समय में एक दूसरे को सहारा दे सकते हैं। हम दोनों की शादी जीवन में खुशियां लाएगा। राजकुमारी माको के प्रेमी कोमुरो अमेरिका में कानून की पढ़ाई कर रहे हैं। कोमुरो को लेकर बताया गया है कि वह स्कीईंग, वायलिन बजाने और कुकिंग के शौकीन हैं। समुद्र तटों पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वह बतौर ‘प्रिंस ऑफ द सी‘ काम करते हैं।
राजकुमारी माको को लेकर बताया गया है कि उनके प्रेमी केई कोमुरो ने दिसंबर 2013 में एक डिनर के दौरान उन्हें शादी का प्रस्ताव दिया था। दोनों धीरे-धीरे एक-दूसरे के करीब आते गये। दोनों ने अपने प्यार को लंबे समय तक छिपाकर रखा। फिर राजकुमारी ब्रिटेन में पढ़ाई करने चली गई। ज्ञात हो कि जापानी राजवंश में सिर्फ पुरुष ही गद्दी के उत्तराधिकारी होते हैं कि इस नाते राजकुमारी माको के छोटे भाई राजकुमार हिसाहितो (14) इस वक्त अपने पिता आकिशिनो के अलावा गद्दी के इकलौते दावेदार हैं। जापान के शाही नियमों के अनुसार राजवंश से बाहर शादी करने वाली शाही महिलाओं के पुत्रों को गद्दी का उत्तराधिकारी नहीं माना जाता है।