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जातीय जनगणना पर मायावती हुई सख्त, BJP की OBC राजनीति पर कहीं ये बात

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे का हवाला देकर बसपा सुप्रीमो ने कहा कि बीजेपी की अन्य पिछड़ा वर्ग की राजनीति का पर्दाफाश हुआ है। मायावती ने कहा कि एससी व एसटी की तरह ही ओबीसी वर्ग की भी जातीय जनगणना कराने की मांग पूरे देश में काफी जोर पकड़ चुकी है। मायावती ने ट्विटर पर लिखा कि केन्द्र सरकार द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके पिछड़े वर्गों की जातीय जनगणना कराने से साफ तौर पर इन्कार कर देना यह अति-गंभीर व अति-चिन्तनीय, जो भाजपा के चुनावी स्वार्थ की ओबीसी राजनीति का पर्दाफाश व इनकी कथनी व करनी में अन्तर को उजागर करता है। सजगता जरूरी है।

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मायावती ने लिखा कि एससी व एसटी की तरह ही ओबीसी वर्ग की भी जातीय जनगणना कराने की मांग पूरे देश में काफी जोर पकड़ चुकी है लेकिन केन्द्र का इससे साफ इन्कार पूरे समाज को उसी प्रकार से दुःखी व इनके भविष्य को आघात पहुंचाने वाला है जैसे नौकरियों में इनके बैकलॉग को न भरने से लगातार हो रहा है।

अन्य पिछड़ा वर्ग की नहीं होगी गिनती

ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने साफ किया है कि वह जनगणना में ओबीसी जातियों की गिनती नहीं करवाएगी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि इस तरह की जनगणना व्यावहारिक नहीं है। 1951 से देश में यह नीति लागू है। अनुसूचित जाति, जनजाति, धार्मिक और भाषाई समूहों की गिनती ही की जाएगी। केंद्र ने यह हलफनामा महाराष्ट्र सरकार की एक याचिका के जवाब में दाखिल किया है। आबादी के जातिगत आंकड़े जुटाने और उसे सार्वजनिक करने की मांग पर कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा था। अब केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय ने लिखित जवाब दाखिल कर कहा है कि पिछड़ी जातियों की गणना कर पाना व्यावहारिक नहीं होगा। केंद्र ने बताया है कि 2011 में जो सोशियो इकोनॉमिक एंड कास्ट सेंसस किया गया था, उसे ओबीसी की गणना नहीं कहा जा सकता।