राजस्थान के राजसमंद में एक 40 साल के व्यक्ति के अंतिम संस्कार के 10 दिन बाद लौट आने का मामला सामने आया है. परिवार के सदस्य उसको देखकर चौंक गए क्योंकि परिवार में मातम का माहौल था और उसके बच्चों व भाई ने सिर भी मुंडवा दिए थे. दरअसल, राजसमंद जिले के कांकरोली का रहने वाला ओंकार लाल गाडोलिया शराब का आदी है. वह 11 मई को अपने परिवार को बिना बताए उदयपुर चला गया और उसे लीवर में कुछ दिक्कत के चलते अस्पताल में भर्ती हो गया. उसी दिन मोही क्षेत्र से एक अज्ञात व्यक्ति को एंबुलेंस से आरके अस्पताल लाया गया और इलाज के दौरान मौत होने के बाद शव को मुर्दाघर में रखवाया गया. इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को अज्ञात शव के बारे में जानकारी दी.
कांकरोली के थाना प्रभारी योगेंद्र व्यास के अनुसार, हमें अस्पताल अधिकारियों से एक पत्र मिला कि एक शव मुर्दाघर में तीन दिन से है और कोई वारिस सामने नहीं आया है. हमने शव की पहचान के लिए फोटो जारी किया. इसके बाद 15 मई को एक दर्जन से अधिक लोग शव की शिनाख्त करने अस्पताल आए. इन लोगों में ओंकार लाल के भाई नानालाल भी था और उन्होंने शव को शारीरिक बनावट के आधार पर ओंकार लाल का बताया. परिजनों ने लिखित में देकर बिना पोस्टमॉर्टम किए शव को सौंपने की बात कही.
नानालाल ने ओंकार लाल दाहिने हाथ पर कलाई से कोहनी तक चोट का निशान होना बताया लेकिन अस्पताल प्रशासन और पुलिस ने शव के तीन दिन पुराना और डी फ्रीज में होने से निशान मिटने की बात कहकर शव परिजनों को सौंप दिया. इसके बाद शव का 15 मई को ही अंतिम संस्कार कर दिया गया. ओंकारलाल 23 मई को घर लौटा और यह जानकर हैरान रह गया कि उसे मृत मान लिया गया है. बाद में पुलिस की जांच में सामने आया कि जिसका ओंकारलाल मानकर अंतिम संस्कार गिया गया, वह गोवर्धन प्रजापत था. पुलिस के अनुसार प्रजापत के तीन बच्चे थे जिन्हें उसकी तबीयत खराब होने के बाद शिशु कल्याणघर भेज दिया गया जबकि उसकी पत्नी उसे छोड़कर जा चुकी थी.