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चीन से तनातनी के बीच लाइटवेट टैंक तैयार करेगी भारतीय सेना, जल्‍द शुरू होगा प्रोजेक्ट ‘जोरावर’

पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) से सटी एलएसी (LAC) पर चीन (China) के खिलाफ हल्के-टैंक (Light Tank) के लिए भारतीय सेना (Indian Army) ने प्रोजेक्ट-जोरावर (Project Zorawar) शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत स्वदेशी लाइट टैंक (Swadeshi Light Tank) लेने की तैयारी है. खास बात ये है कि लाइट टैंक के प्रोजेक्ट का नाम जम्मू कश्मीर रिसायत के पूर्व कमांडर, जोरावर सिंह (Zorawar Singh) के नाम रखा गया है, जिन्होनें 19वीं सदी में चीनी सेना (Chinese Army) को हराकर तिब्बत (Tibet) में अपना परचम लहराया था.

जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेना जल्द ही रक्षा मंत्रालय से लाइट टैंक लेने की मंजूरी लेने वाली है. इन हल्के टैंकों को मेक इन इंडिया के तहत देश में ही तैयार किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना इन टैंकों को पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी यानि लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल पर तैनात करने के लिए लेना चाहती है.

जोरावर टैंक सिर्फ 25 टन वजनी होंगे
दरअसल, भारतीय सेना के पास जो फिलहाल टैंक हैं वे प्लेन्स और रेगिस्तान के लिए हैं. चाहें फिर रूसी टी-72 हो या फिर टी-90 या फिर स्वदेशी अर्जुन टैंक. ये सभी टैंक 45-70 टन के हैं. जबकि प्रोजेक्ट जोरावर के तहत लाइट टैंक करीब 25 टन के होंगे. चीन से सटी एलएसी पर तैनात करने के लिए दुनिया के सबसे उंचे दर्रों से होकर गुजरना पड़ता है. ऐसे में टी-72 और बाकी भारी टैंकों के लिए एलएसी पहुंचने में खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. यही वजह है कि भारतीय सेना हल्के टैंक लेना चाहती है.

 

ये हल्के टैंक पहाड़ों पर भी चल सकेंगे
जानकारी के मुताबिक, प्रोजेक्ट जोरावर के तहत हल्के टैंकों में भारी टैंक की तरह ही फायर पावर तो होगी ही साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) युक्त ड्रोन से भी लैस होंगे. ये हल्के टैंक उंचा पहाड़ों से लेकर दर्रों तक ‌से भी निकल सकते हैं. आपको बता दें कि चीन ने पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर पहले से ही लाइट टैंक तैनात कर रखे हैं. भारतीय सेना ने भी टी-72 टैंक यहां तैनात किए हैं. अब तेज मूवमेंट के लिए भारतीय सेना प्रोजेक्ट जोरावर के तहत लाइट टैंक लेना चाहती है.

1841 में जोरावर सिंह ने चीनी सेना को हराया था
गौरतलब है कि जोरावर सिंह (Zorawar Singh) जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) के रियासत के कमांडर थे, जिन्होनें 1841 में तिब्बत (Tibet) में घुसकर चीनी सेना (Chinese Army) को हराया था. चीनी सेना को हराने के बाद जोरावर सिंह अपने सैनिकों के साथ हिंदुओं के पवित्र तीर्थ-स्थल कैलाश मानसरोवर (Kailash Man Sarovar) गए थे. चीनी सेना को हराने के बाद जोरावर सिंह के सैनिक चीनी झंडे तक लेकर भारत आ गए थे. भारतीय सेना की मौजूदा जम्मू कश्मीर राइफल (जैकरिफ) रेजीमेंट अपने को जोरावर सिंह की सेना का ही वंशज मानती है.