एक तरफ कोरोना का वार तो दूसरी तरफ का चीन का विवाद…अब ऐसे मेंं सरकार के समक्ष दोहरी चुनौतियों ने पहार दे दिया। वहीं गत सोमवार को पूर्वी लद्दाख के गलवन घाटी में 20 जवानों की शहादत के साथ चार दशक बाद चीनी सीमा पर खूनी संघर्ष को देखने को मिला है। जवानों की शहादत के साथ बैठकों का सिलसिला शुरू हुआा। देर रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में बैठके बुलाई गई। अब गलवान घाटी में 20 जवानों की शहादत के साथ सियासत का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। आरोप-प्रत्यारोप और ज़ुबानी प्रहारों का सिलसिला शुरू हो चुका है।
इसी बीच कांग्रेस ने केंद्र सरकार से चार दशक बाद चीनी सीमा पर हुए खूनी संघर्ष को लेकर सवाल पूछे है्ं। यह सवाल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने केंद्र सरकार से किए हैं। उन्होंने इस पूरे मामले को लेकर सीधा मोदी और शाह की चुप्पी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि जवानों की शहादत से पूरा देश क्षुब्ध है, लेकिन सरकार ने चुप्पी साध रखी है। क्या यही राजधर्म है? ऐसी स्थिति में तो सरकार को आगे आकर जवाब देना चाहिए।
उन्होंने केंद्र सरकार से सिलसिलेवार तरीके से सवाल किए हैं। उन्होंने कहा कि क्या यह सच है कि चीनी सेना ने गलवान घाटी में भारतीय सेना के एक अधिकारी और सैनिक को मार डाला है? क्या यह सही है कि भारतीय सेना के अन्य जवान भी इस हमले में गंभीर रूप से घायल हैं। यदि हां… तो आखिर पीएम और गृह मंत्री ने चुप्पी क्यों साध रखी है।
इसके साथ ही उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या सरकार देश को इस बात पर विश्वास में लेने की कोशिश करेंगे कि हमारे सैनिक आखिर कैसे शहीद हो सकते हैं, जबकि चीनी सेना तो गलवान घाटी पर कब्जा छोड़कर वापस जा रही थी। केंद्र सरकार को बताना चाहिए कि हमारे सैनिक किन परिस्थितियों में शहीद हुए हैं।अगर हमारे अधिकारी और सैनिकों के शहीद होने का यह वाक्या कल रात हुआ था, तो आज दोपहर 12.52 बजे बयान क्यों जारी किया गया और 16 मिनट बाद ही यानि दोपहर 1.08 बजे बयान क्यों बदला गया?
रणदीप सुरजेवाला ने सवाल करते हुए कहा कि जब चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा पर कब्जा जमाए रखा है, तब पीएम मोदी ने सार्वजनिक पटल पर चुप्पी साध रखी है। आखिर ऐसा क्यों? साथ ही यह भी बताए कि कौन से हालात और स्थिति हैं, जिसके चलते हमारे सैनिक व जवान शहीद हुए हैं। जबकि चीनी सैनिकों को भारतीय सीमा से पीछे हट ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ तक जाने के लिए मजबूर किया जाना था? क्या प्रधानमंत्री राष्ट्र को विश्वास में लेंगे? इसके साथ ही कांग्रेस ने सवाल करते हुए कहा कि क्या केंद्र सरकार बताएगी कि क्या इस गंभीर समय में सरकार के समक्ष इस चुनौती से निपटने के लिए आखिर क्या नीति है।