चीन (China) अपने यहां घट रही युवा आबादी और बढ़ती बुजुर्गों की आबादी से परेशान हो चुका है. यही वजह है कि अब बीजिंग (Beijing) ने कदम उठाना शुरू कर दिया है. चीन की राष्ट्रीय विधायिका ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party) द्वारा लाई गई तीन बच्चों की नीति (China three-child policy) का शुक्रवार को औपचारिक रूप से समर्थन किया. यह नीति दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश में तेजी से कम होती जन्म दर को रोकने के मकसद से लाई गई है. हाल ही में चीन ने अपनी जनसंख्या रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें युवा आबादी के घटने की जानकारी मिली थी.
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) की स्थायी समिति ने संशोधित जनसंख्या एवं परिवार नियोजन कानून को पारित कर दिया. इसमें चीनी दंपत्तियों को तीन बच्चे तक पैदा करने की अनुमति दी गई है. चीन में बढ़ती महंगाई के कारण दंपति कम बच्चे पैदा कर रहे हैं और इन चिंताओं से निपटने के लिए कानून में अधिक सामाजिक और आर्थिक सहयोग के उपाय भी किए गए हैं. सरकारी समाचार पत्र ‘चाइना डेली’ के अनुसार, नए कानून में बच्चों के पालन-पोषण और उनकी शिक्षा का खर्च कम करने के साथ ही परिवार का बोझ कम करने के लिए वित्त, कर, बीमा, शिक्षा, आवासीय और रोजगार संबंधी सहयोगात्मक कदम उठाए जाएंगे.
चीन ने 2016 में दी दो बच्चा पैदा करने की अनुमति
इस साल मई में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (Communist Party of China) ने दो बच्चों की अपनी सख्त नीति में छूट देते हुए सभी दंपतियों को तीन तक बच्चे पैदा करने की अनुमति दी थी. चीन ने दशकों पुरानी एक बच्चे की नीति को रद्द करते हुए 2016 में सभी दंपतियों को दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दी थी. नीति निर्माताओं ने देश में जनसांख्यिकीय संकट से निपटने के लिए एक बच्चे की नीति को जिम्मेदार ठहराया था. चीनी अधिकारियों ने बताया कि एक बच्चा नीति (One Child Policy) की वजह से तीन दशकों में 40 करोड़ बच्चों को पैदा होने से रोका गया.
बेहद धीमी रफ्तार से बढ़ रही चीन की आबादी
चीन में तीसरे बच्चे को पैदा करने की अनुमति ऐसे समय पर दी गई है, जब इस महीने 10 साल में एक बार होने वाली जनगणनी रिपोर्ट जारी की गई. इसमें बताया गया कि चीन की आबादी बेहद ही धीमी रफ्तार से बढ़ रही है. अधिकारियों ने चिंता जताई है कि अगले साल की शुरुआत के बाद से ही जनसंख्या और तेजी से घटने लग सकती है. नए जनगणना के आंकड़ों से पता चला है कि चीन के सामने जनसांख्यिकीय संकट गहराने की उम्मीद है, क्योंकि 60 साल से ऊपर के लोगों की आबादी बढ़कर 26.4 करोड़ हो गई, जिसमें पिछले साल के मुकाबले 18.7 फीसदी की वृद्धि हुई है.