चीन की एक ब्रेड कंपनी को अपनी बेकरियों के लिए जरूरी बिजली नहीं मिल रही है। दुनिया के कुछ सबसे बड़े पेंट उत्पादकों के लिए एक खास केमिकल सप्लाई करने वाली कंपनी ने उत्पादन में कटौती की घोषणा कर दी है। इसी तरह एक पोर्ट सिटी ने शहर की फैक्टि्रयों को पर्याप्त बिजली देने की कवायद में एक ही दिन में चार बार बिजली कटौती के नियम बदले हैं। ये दृश्य इस समय चीन के हर उस शहर में बहुत आम हैं जो गंभीर बिजली संकट के दौर से गुजर रहे हैं।
चीन की बिजली किल्लत का असर कारखानों और उद्योगों पर बुरी तरह हुआ है। बिजली संकट को देखते हुए चीन की सरकार ने कोयला खनन और उपयोग करने की मंजूरी दे दी है। संकट से गुजर रहे चीन को कार्बन उत्सर्जन रोकने के अपने संकल्प से समझौता करना पड़ा है। चीन में बिना अनुमति बंद की गई खदानों को फिर से खोलने का आदेश दिया गया है। मरम्मत के लिए बंद की गई कोयला खदानों और कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को भी फिर से खोला जा रहा है। कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के लिए कर प्रोत्साहन का मसौदा तैयार किया जा रहा है। नियामकों ने चीनी बैंकों को कोयला क्षेत्र को भरपूर कर्ज देने का आदेश दिया है। स्थानीय सरकारों को चेतावनी दी गई है कि वे ऊर्जा उपयोग की सीमाओं के बारे में अधिक सतर्क रहें जो आंशिक रूप से जलवायु परिवर्तन की चिंताओं के जवाब में लगाई गई थीं।
चीन की शीर्ष आर्थिक योजना एजेंसी, राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग के महासचिव झाओ चेनक्सिन ने बुधवार को बीजिंग में एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, हम कोयला उत्पादन और आपूर्ति बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। बिजली की कमी ने चीन की रणनीतिक कमजोरियां उजागर कर दी है। इस देश की ऊर्जा भूख बहुत ज्यादा है। दुनिया की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बिजली की भारी खपत वाले स्टील, सीमेंट और रसायन उद्योगों पर निर्भर है। सर्दियों का मौसम चीन के बिजली संकट को और गंभीर बना सकता है। बिजली खपत बढ़ने पर कोयले की ज्यादा खुदाई और जलाने की आवश्यकता होगी। बीजिंग इकोनामिक्स एंड पालिटिक्स रिसर्च फर्म प्लेनम के सह-संस्थापक और पार्टनर चेन लांग ने कहा कि घरों में गर्मी और बिजली सुनिश्चित करने के लिए उन्हें त्याग करना होगा। उन्हें उद्योगों के लिए सप्लाई में कटौती करनी होगी।