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चीन का नया सीमा कानून हमारे लिए चिंता का विषय, द्विपक्षीय संबंधों पर डाल सकता है असर

चीन (China) ने सीमावर्ती इलाकों के संरक्षण और उपयोग संबंधी एक नया कानून पारित किया है, जिस पर भारत ने चिंता जताई है. चीन के नए सीमा कानून पर मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि नई दिल्ली ने नोट किया है कि बीजिंग ने 23 अक्टूबर 2021 को एक नया “भूमि सीमा कानून” पारित किया है. अरिंदम बागची ने कहा है कि चीन की ओर से कानून लाने का एकतरफा निर्णय बॉर्डर मैनेजमेंट के साथ-साथ सीमा के सवाल पर हमारी मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्था पर प्रभाव डाल सकता है. यह मारे लिए चिंता का विषय है.

चीन के नए ‘भूमि सीमा कानून’ पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा कि यह ध्यान दिया जा सकता है कि भारत और चीन ने अभी भी सीमा के मामले को हल नहीं किया है. दोनों पक्ष समान स्तर पर परामर्श के माध्यम से सीमा मुद्दे को निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान प्राप्त करने पर सहमत हुए हैं. दोनों पड़ोसी देशों ने आंतरिक रूप से भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए कई द्विपक्षीय समझौते, प्रोटोकॉल और व्यवस्थाएं की हैं. इस नए कानून का पारित होना (चीन का नया भूमि सीमा कानून) हमारे विचार में 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान “सीमा समझौते” को कोई वैधता प्रदान नहीं करता है, जिस पर भारत सरकार कायम रही है और वह एक अवैध व अमान्य समझौता है.

अभी हाल ही में चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा था कि नेशनल पीपल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी समिति के सदस्यों ने संसद की समापन बैठक के दौरान इस कानून को मंजूरी दी. यह कानून अगले वर्ष एक जनवरी से प्रभाव में आएगा. इसके मुताबिक ‘‘पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता पावन और अक्षुण्ण है.’’

सीमा सुरक्षा को मजबूत करेगा कानूनः चीन

खबर में कहा गया था कि देश क्षेत्रीय अखंडता और जमीनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए तथा जमीनी सीमाओं और क्षेत्रीय संप्रभुता को कमतर करने के किसी भी प्रयास के खिलाफ कदम उठाएगा. कानून में यह भी कहा गया है कि सीमा सुरक्षा को मजबूत करने, आर्थिक एवं सामाजिक विकास में मदद देने, सीमावर्ती क्षेत्रों को खोलने, ऐसे क्षेत्रों में जनसेवा और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने, उसे बढ़ावा देने और वहां के लोगों के जीवन एवं कार्य में मदद देने के लिए देश कदम उठा सकता है. वह सीमाओं पर रक्षा, सामाजिक एवं आर्थिक विकास में समन्वय को बढ़ावा देने के लिए उपाय कर सकता है.

कानून के अनुसार देश समानता, परस्पर विश्वास और मित्रतापूर्ण वार्तालाप के सिद्धांतों का पालन करते हुए पड़ोसी देशों के साथ जमीनी सीमा संबंधी मुद्दों से निबटेगा और काफी समय से लंबित सीमा संबंधी मुद्दों और विवादों को उचित समाधान के लिए वार्ता का सहारा लेगा. चीनी सेना अभ्यास करके और हमलों, अतिक्रमण, उकसावे एवं अन्य गतिविधियों को दृढ़ता से रोकने के लिए सीमा पर अपना कर्तव्य निभाएगी.

चीन एलएसी से सटे इलाकों में कर रहा बुनियादी ढांचे को मजबूत

चीन ने पिछले कुछ सालों में अपने सीमा संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है. उसने हवाई, रेल और सड़क नेटवर्क का विस्तार किया है. उसने तिब्बत में बुलेट ट्रेन की शुरुआत भी की है जिसके मार्ग का निर्माण अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती कस्बे नींगची तक किया गया है. नए कानून में सीमाओं पर व्यापार क्षेत्रों की स्थापना तथा सीमा आर्थिक सहयोग क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव है. बीजिंग ने अपने 12 पड़ोसियों के साथ तो सीमा संबंधी विवाद सुलझा लिए हैं लेकिन भारत और भूटान के साथ उसने अब तक सीमा संबंधी समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया है. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 3,488 किलोमीटर के क्षेत्र में है, जबकि भूटान के साथ चीन का विवाद 400 किलोमीटर की सीमा पर है.