पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर 75 वंदे भारत ट्रेन चलाने का ऐलान किया है। इसके बाद पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन को भी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से इस ट्रेन के चलने की उम्मीद है। पूर्वोत्तर रेलवे में वाराणसी कैंट से रामबाग-प्रयागराज रूट से चल रही, वंदे भारत की अधिकतम रफ्तार 110 किमी प्रति घंटे है। अभी फिलहाल गोरखपुर से लखनऊ रूट पर भी यह गति पाने में कोई तकनीकी दिक्कत नहीं है।
गोरखपुर से दिल्ली के बीच सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदेभारत चल सकती है। ट्रेन को चलाने में दो राज्यों की राजधानी को जोड़ने व न्यूनतम 130 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार वाली राजधानी एक्सप्रेस जैसी अड़चन भी नहीं है। एनईआर के ट्रैक पर पहले से ही वाराणसी कैंट से वंदे भारत चलाई भी जा रही है।
चाहिए 130 की रफ्तार
राजधानी एक्सप्रेस को चलाने के लिए न्यूनतम 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार चाहिए। इसके लिए अभी गोरखपुर से लखनऊ तक रेलवे ट्रैक तैयार नहीं है। छपरा से बाराबंकी तक डबल डिस्टेंसिंग का कार्य चल रहा है। अभी इसके ट्रायल में दो वर्ष तक का वक्त लग सकता है। पूरे रूट पर चौरीचौरा, सरदारनगर व कुसम्ही स्टेशनों के बीच ही अभी कुछ कार्य हो पाया है।
नए कोच में बढ़ेंगी ये सुविधाएं
वंदे भारत के नए कोच में कई बदलाव किए जाएंगे। ट्रेन की रेक्लाइनिंग सीट को पुशबैक से लैस होगा। उसे आराम के हिसाब से आगे या पीछे कर सकेंगे। सेंट्रलाइज्ड सिस्टम से एक ही स्थान से पूरी ट्रेन पर नजर रखी जा सकेगी।
बिजली गुल होने पर वेंटिलेशन और लाइटिंग के लिए ऑप्शनल है। हर कोच में बड़ी लाइटें होंगी। हर कोच में अब चार इमरजेंसी विंडो, बैक्टिरिया फ्री एयर कंडीशनिंग सिस्टम, चार इमरजेंसी पुश बटन दिए जायेंगे। दरवाजे और खिड़कियों में फायर सर्वाइवल केबल का प्रयोग होगा, जिससे आग लगने की स्थिति में भी दरवाजा और खिड़कियां खोलना आसान होगा।
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि वंदे भारत ट्रेन सेट के उत्पादन का कार्य तीव्र गति से चल रहा है, जिसे विभिन्न क्षेत्रीय रेलों को जरूरत के अनुसार दिया जाएगा। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य मार्ग छपरा- बाराबंकी की रफ्तार सीमा 130 किमी प्रति घंटा करने के लिए जरूरी डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाने का काम चल रहा है।