रूसी सेना (Russian army) से 102 दिन टक्कर लेने के बाद भी यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की काला सागर में तूफान पैदा कर रूस को हराने की सोच भी रहे हैं। इसके लिए उन्होंने ब्रिटेन और तुर्की (UK and Turkey) के साथ मिलकर गेहूं निर्यात (wheat export) के लिए रास्ता बनाने की कोशिश करने के लिए एंटी शिप वेपन की मांग की है।
पिछले तीन महीने से काला सागर की नाकेबंदी रूसी नौसेना ने नाकेबंदी कर रखी है और मालवाही जहाजों का आवागमन बंद कर रखा है। इसी को ध्यान में रखते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने निर्यात के लिए रास्ता बनाने के लिए सहयोगी देशों से एंटी शिप वेपन की भी मांग की है।
जेलेंस्की ने कहा है कि अक्टूबर के शुरू के मौसम तक यूक्रेन के पास साढ़े सात करोड़ टन गेहूं का भंडार हो जाएगा। इस गेहूं को निर्यात न किया गया तो कई देशों में रोटी के लाले पड़ जाएंगे और गेहूं का अंतरराष्ट्रीय मूल्य बढ़ जाएगा जबकि यूक्रेन में भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण उसके खराब होने का खतरा हो सकता। युद्ध में रूसी हमलों के चलते यूक्रेन की भंडारण व्यवस्था प्रभावित हुई है। मालूम हो कि यूक्रेन गेहूं के बड़ा निर्यातक है।
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने हाल के दिनों में ब्रिटेन और तुर्की के नेताओं से बात करके काला सागर में यूक्रेन के मालवाही जहाजों के आवागमन में सहयोग मांगा है। ताकि यूक्रेनी जहाजों को वे दोनों अपनी सुरक्षा में काला सागर पार कराएं।
यूक्रेन के बंदरगाहों, काला सागर और अजोव सागर पर पिछले तीन महीनों से रूसी सेना का कब्जा है। इसके चलते वहां पर मालवाही जहाजों का आवागमन ठप है। लेकिन रूस मालवाही जहाजों को रोकने से इन्कार कर रहा है। जेलेंस्की रूस के इसी बयान को आधार बनाकर समुद्री व्यापार शुरू करने की कोशिश में हैं। लेकिन इससे काला सागर में भी टकराव शुरू होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
यूक्रेन के डोनबास इलाके के सबसे बड़े शहर सीविरोडोनेस्क में लड़ाई अब सड़कों पर लड़ी जा रही है। एक समय 80 प्रतिशत शहर पर कब्जा कर चुकी रूसी सेना को बीते 48 घंटों में पीछे हटना पड़ा है लेकिन अभी भी आधे शहर पर उसका कब्जा है। यूक्रेन की सेना बढ़े हौसले के साथ मैदान में है लेकिन लड़ाई के चलते शहर की दुर्दशा हो गई है। बमबारी और गोलाबारी से शहर की ज्यादातर इमारतें बर्बाद हो गई हैं। बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं।