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गांधी जी की पुण्य तिथि पर आयोजित ध्यान सभा में बोले स्वामी भारत भूषण राष्ट्रपिता कहना गांधी जी की आत्मा को पीड़ा पहुंचाना है

रिपोर्ट:- गौरव सिंघल, विशेष संवाददाता,दैनिक संवाद, सहारनपुर मंडल, उप्र:।।
सहारनपुर (दैनिक संवाद न्यूज)। गांधी जी के सत्य, अहिंसा, पारदर्शिता और नैतिक साहस जैसे उत्कृष्ट गुणों और स्वाधीनता संग्राम में उनके महान योगदान को स्मरण करने के लिए गांधी जी के बलिदान दिवस पर नेशन बिल्डर्स अकादमी में गांधी जी की पुण्य तिथि पर आयोजित चिंतन एवं ध्यान सभा में योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण ने कहा कि योग के बुनियादी गुणों को आत्मसात करने वाले महात्मा गांधी के जीवन का आधार गीता दर्शन और भगवान राम ही रहे। सच्चे कर्मयोगी और घोर तपस्वी रहे महात्मा गांधी का निधन भी बिरला मंदिर से प्रार्थना सभा से निकलते हुए हुआ और उनके मुंह पर मरते समय भी राम शब्द ही रहा।
स्वामी भारत भूषण ने कहा कि राम, कृष्ण, नानक, कबीर, रैदास, बुद्ध, महावीर, दयानंद, पटेल और सुभाष सरीखी दिव्य विभूतियों की तरह महात्मा गांधी भी भारत राष्ट्र की अमर संतान हैं, इनमें से एक भी इस देवभूमि भारत राष्ट्र का पिता नहीं हो सका। योग गुरु बोले कि अक्सर प्रशंसा में हम कई बार सारी हदें लांघ जाते हैं। न जाने किसने गांधी जी की प्रशंसा करते हुए कभी उन्हें राष्ट्रपिता कहने की भूल कर दी होगी, संविधान में भी गांधी जी के  राष्ट्रपिता होने का कहीं जिक्र नहीं है और हो भी नहीं सकता क्योंकि पिता तो जन्म देने वाला होता है जैसे कुछ नए देश बनाने वाले लोगों को उन देशों में फादर ऑफ नेशन कहा गया है। योग गुरु ने प्रार्थना सभा में कहा कि महात्मा गांधी अपने आराध्य भगवान राम व कृष्ण को जन्म देने वाले राष्ट्र के पिता भला कैसे हो सकते हैं।
स्वयं को राष्ट्रपिता कहे जाने से तो गांधी जी की आत्मा को भी पीड़ा होती होगी। हमे उन्हें राष्ट्रपिता कहने की गलती से बचना चाहिए। प्रार्थना एवं ध्यान सभा में अकादमी के बच्चों के अलावा मुख्य: प्राचार्या इष्ट शर्मा, सुरभि सेठी, अजय यादव, मोक्षायतन योग संस्थान के ध्यान प्रमुख विजय सुखीजा, योग संघ के अध्यक्ष एन के शर्मा, मुकेश शर्मा, सतीश चावला, सुभाष वर्मा, सीमा गुप्ता, मंजू गुप्ता, ललित वर्मा, सुमन्यु सेठ, मोहित ढल्ला, केशव वर्मा, डा अशोक गुप्ता आदि उपस्थित रहे।