मध्यप्रदेश में कोरोना का कहर जारी है. हर दिन पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. कोरोना के कारण राजधानी भोपाल में मरने वाले मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि शहर के श्मशान घाट और कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार करने के लिए जगह कम पड़ने लगी है. शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ियों की कमी की भी बात सामने आ रही है. बीते 24 घंटे में भदभदा विश्राम घाट में 54 शवों का अंतिम संस्कार हुआ है, जिसमें से 42 कोरोना संक्रमितों के पार्थिव शरीर थे.
शहर में करीब एक दर्जन से ज्यादा कब्रिस्तान और श्मशान घाट हैं. अकेले एक श्मशान घाट में बीते 1 महीने में 300 से ज्यादा अंतिम संस्कार हो चुके हैं. अब स्थिति यह हो गई है कि श्मशान में जगह कम पढ़ने लगी है.
श्मशान में रोजाना कोरोना के 10 मरीज बढ़ रहे हैं
भदभदा विश्राम घाट के संचालक राज सिंह सेन का कहना है कि सोमवार को कोरोना के 42 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. रविवार को 49 कोरोना संक्रमितों के शरीर श्मशान आए थे. उन्होंने बताया कि रोजाना 8 से 10 कोरोना संक्रमित शवो की संख्या बढ़ रही है. शवों की संख्या बढने के साथ ही लकड़ियों की भी कमी होने लगी है. लकड़ियों की कमी को लेकर भदभदा विश्राम घाट के संचालक ने कहा कि हमने लकड़ियों की कमी को देखते हुए वन विभाग के डीएफओ को लिखित में आवेदन दे दिया था. जिसके बाद हमे पर्याप्त मात्रा में लकड़ियां उपलब्ध हो रही हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में गोकाष्ठ भी उपलब्ध हैं.
संचालक ने की वैक्सीनेशन की मांग
श्मशान घाट के संचालकों की मांग है कि उन्हें भी वैक्सीनेशन दिया जाए. 45 साल के ऊपर होने के बावजूद उन्हें अभी तक वैक्सीनेशन नहीं मिली है. राज सिंह का कहना है कि श्मशान घाट पर इतना ज्यादा लोड है कि उनके पास वैक्सीन लगवाने जाने तक का समय नहीं है इसीलिए उन्होंने प्रशासन को लिखित में आवेदन दिया है कि उन्हें वैक्सीन आकर लगाई जाए.
नहीं मिल रही अंतिम संस्कार की सामग्री
इस सबके बीच अंतिम संस्कार के लिए लगने वाली सामग्री को लेकर भी समस्या हो रही है. दरअसल लॉकडाउन के चलते बाजारों में सारे प्रतिष्ठान बंद कर दिए गए हैं. ऐसे में पूजन सामग्री की दुकानें भी बंद हैं. जिसकी वजह से अंतिम संस्कार के लिए सामग्री बेचने वालों के सामने तो संकट है ही, लेकिन अंतिम संस्कार के लिए सामग्री लेने वालों को भी सामान मिलना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में कई दुकानों संचालक अपने घरों से ही फोन से संपर्क करने वालों को सामग्री मुहैया करा रहे है. बातचीत में ऐसी ही एक दुकान का संचालन करने वाले पांडुरंग नामदेव ने मांग की है कि अंतिम क्रिया की सामग्री की दुकानों को भी इमरजेंसी सर्विसेस यानी आपातकालीन सेवाओं के तहत लाया जाना चाहिए.