विधानसभा चुनाव से पहले सियासी पैंतरेबाजी तेज हो गयी है। राजनीतिक दल एक-दूसरे पर बयानबाजी के साथ पुराने मामलों से घेर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित कुंडा क्षेत्र के सीओ जियाउल हक हत्याकांड मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की मुसीबत बढ़ने वाली हैं। डीएसपी जिलाउल हक हत्याकांड में राजा भैया आरोपी बनाए गए थे, जिन्हे सीबीआई ने क्लीनचिट दे दी थी। अब सीओ की पत्नी परवीन की अपील पर सीबीआई कोर्ट ने CBI की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट हाइकोर्ट लखनऊ द्वारा खारिज किये जाने के बाद फिर से सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। दोबारा जांच शुरू होने से राजा भैया को एक बार CBI जांच का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसा था कुंडा कांड
कुंडा के बलीपुर गांव में 2 मार्च 2013 को शाम 7.30 बजे प्रधान नन्हे सिंह यादव की उस समय हत्या कर दी गई, जब वह विवादित जमीन के सामने बनी एक फूस की झोपड़ी में मजदूरों से बात कर रहे थे। हत्यारे दो बाइक पर सवार हो कर आये थे। घटना की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में समर्थक हथियार लेकर बलीपुर गांव में उनके घर जुटने लगे। रात सवा आठ बजे ग्रामीणों ने कामता पाल के घर में आग लगा दी। इसी समय सीओ जियाउल हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े लेकिन ग्रामीणों द्वारा की जा रही फायरिंग से डर कर सीओ की सुरक्षा में लगे गनर इमरान और एसएसआइ कुंडा विनय कुमार सिंह खेत में छिप गये।
कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र भी आक्रोशित ग्रामीणों से घबराकर नन्हे सिंह के घर की तरफ जाने की हिम्मत न जुटा सके। रात साढ़े आठ बजे प्रधान के छोटे भाई 38 वर्षीय सुरेश यादव की हत्या कर दी गई। रात 11 बजे भारी पुलिस बल बलीपुर गांव पहुंचा और सीओ की तलाश शुरू हुई। आधे घंटा बाद जियाउल हक का शव प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर पड़ा मिला। बलीपुर में नन्हे सिंह के छोटे भाई सुरेश और तत्कालीन सीओ, कुंडा जिया उल हक की भी हत्या हुई थी। इससे पैदा हुए संदेह से उठी साजिश की बू ने कहीं-न-कहीं राजा भैया को भी घेर लिया था। वर्तमान में विधानसभा चुनाव होने वाला है। इस जांच का असर राजा भैया और उनके चुनाव पर पड़ना स्वाभाविक है।