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कानून मंत्रालय द्वारा शुरू ‘टेली-लॉ सेवा’, अब देशभर से मदद के लिए आने लगे हैं फोन

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस और लॉकडाउन से उत्पन्न समस्याओं के कारण ग्रामीण निवासियों को मुकदमे से पहले कानूनी सलाह मुहैया कराने के लिए कानून मंत्रालय द्वारा शुरू की गई ‘टेली-परामर्श सेवा’ पर अब देश के विभिन्न हिस्सों से फोन आ रहे हैं। लोग ‘टेली-लॉ’ (दूरसंचार कानून) योजना के विभिन्न स्थानीय केन्द्रों पर फोन कर रहे हैं। इन पर कोविड-19 के दिशा-निर्देशों को लागू करने में पुलिस की सख्ती तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं उनके परिवारों से किए जा रहे भेदभाव जैसे विभिन्न मुद्दों के समाधान पूछे जा रहे हैं, जिन पर कोरोना वायरस संक्रमण फैलाने के गलत आरोप लगाए गए हैं। इन स्थानीय केन्द्रों पर फोन करने वाले लोगों की वकीलों से बात कराई जाती है जो उनके सवालों का कानूनी रूप से उचित जवाब देते हैं।


कानून मंत्रालय में न्याय विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरण के अनुसार, मेघालय के लिए ‘टेली-लॉ सेवा’ के पैनल के एक वकील, अधिवक्ता ख्रुकुपर कोंगजोहो से दक्षिण गारो हिल्स जिले के चोकपोट बाजार के एक व्यक्ति ने स्वास्थ्य कर्मियों और उनक परिवार पर लगे संक्रमण फैलाने के आरोप को गलत साबित करने और उनके साथ हो रहे भेदभाव से कैसे निपटने के बारे में सवाल किया। इसी तरह, जम्मू-कश्मीर के लद्दाख के एक वकील सुहैल अली से गांदेरबल जिले के यांगूरा गांव के एक निवासी ने पूछा कि उसका बिजली बिल काफी अधिक आया है, जो वह वैश्विक महामारी के कारण उसकी नौकरी चले जाने की वजह से नहीं भर सकता और ऐसे में वह बिजली विभाग को रियायत के लिए कैसे आवेदन दे सकता है। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के नमतारा गांव के कबरिया टोला के निवासी ने अधिवक्ता स्वाति से लॉकडाउन के कारण आजीविका खो चुके रेहड़ी-पटरी वालों को सहायता प्रदान करने की एक सरकारी योजना के संबंध में सवाल किया। न्याय विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि परिवार में महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा की शिकायत के लिए भी इन स्थानीय केन्द्रों में कई फोन आए। इनके अलावा पुलिस द्वारा अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल करने का मामला भी कई लोगों ने उठाया। न्याय विभाग ने यह योजना 2017 में सभी राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की ग्राम पंचायतों के लिए शुरू की थी, लेकिन अब इस पर देशभर से फोन आ रहे हैं।