कश्मीर घाटी में लगातार बारिशों होने के कारण बाढ़ जैसे हालात पैदा होते जा रहे हैं। वहीं, दूरदराज के कई इलाकों में भूस्खलन और बादल फटने के कारण आम लोग भी चिंतित और डर के माहौल में हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार मौसम का मिजाज अगर ऐसे ही बना रहा तो 2014 वाली विनाशकारी बाढ़ जैसे हालात दोबारा देखने को मिल सकते हैं। पिछली बार आई बाढ़ में जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर डूब गई थी।
रविवार सुबह सीमावर्ती जिले कुपवाड़ा के बटपोरा में बादल फटने से बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए। हायहामा चौक में भारी बारिश के कारण पार्क में खड़ी गई गाड़ियां पानी के साथ बह गईं। जिला प्रशासन कुपवाड़ा ने मौसम के मिजाज को देखकर केरन, करनाह, माछिल, बुदनामल, जुमगुंड, नौगाम, कुमकाडी जैसे क्षेत्रों में विशेष सावधानी बरतने को कहा है। बारिश के कारण नालों और नदियों के घाट पर भूस्खलन की संभावनाएं अधिक होती हैं, इसलिए ऐसे इलाकों में घूमने से एहतियात बरतने को भी कहा गया है।
दिशा निर्देश के अनुसार जब तक मौसम के मिजाज में सुधार नहीं आता तब तक इन क्षेत्रों में आम जनता के आने-जाने पर रोक लगा दी गई है। शनिवार को जम्मू कश्मीर में हो रही बारिशों से कई इलाकों में बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं। गनीमत की बात है कि कश्मीर में इन घटनाओं में ज्यादा नुकसान नहीं देखने को मिला है।
मौसम विभाग के अनुमान आज आसमान बादलों से घिरा रहने के साथ-साथ हल्की बारिशों की संभावना हैं। विभाग द्वारा चेतावनी जताते हुए कहा गया हैं कि पिछले 2 दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण अचानक बाढ़, भूस्खलन, भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। वहीं, लोगों को सतर्क रहने और नदियों, नालों और अन्य संवेदनशील स्थानों से दूर रहने की सलाह दी गई है।