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उत्तर प्रदेश में सियासी तपिश बढ़ी, बीजेपी में दिल्ली से लेकर लखनऊ तक बैठकों का दौर जारी

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. पिछले तीन सप्ताह से दिल्ली से लेकर लखनऊ तक बीजेपी नेताओं के साथ-साथ आरएसएस के बीच भी बैठकों का दौर जारी है, जिसके चलते पार्टी के संगठन से लेकर सरकार तक में फेरबदल के कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि, बीजेपी केंद्रीय नेताओं के साथ-साथ प्रदेश नेतृत्व के द्वारा किसी तरह के बदलाव को अटकलबाजी करार देते हुए प्रदेश में ‘ऑल इज वेल’ बता रही है. इसके बाद भी सूबे के सियासी माहौल को लेकर न तो मंथन थम रहा है और न ही चर्चाएं. ऐसे में सवाल उठता है कि यूपी में आखिर चल क्या रहा है?

बता दें कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते उत्तर प्रदेश में उपजे असंतोष और पंचायत चुनाव के नतीजों से बीजेपी की चिंताएं बढ़ गई हैं. यूपी में अगले साल की शुरुआत में ही विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते विपक्षी दलों, खासकर सपा और कांग्रेस ने संक्रमण में कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. ऐसे में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और बीजेपी की शीर्ष लीडरशिप इससे संभावित नुकसान को लेकर अलर्ट हो गया है और वक्त रहते माहौल को दुरुस्त करने के जतन में जुटा हुआ है.

उत्तर प्रदेश के सियासी हालात को लेकर पहले दिल्ली में 23 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले की अहम बैठक हुई. इसमें उत्तर प्रदेश बीजेपी प्रदेश संगठन के महामंत्री सुनील बंसल भी शामिल थे, लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ नहीं थे. हालांकि, 23 मई के सबसे पहले बंसल की होसबले के साथ बैठक हुई. फिर बंसल बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले. इसके बाद होसबले , शाह और नड्डा की पीएम मोदी से बातचीत हुई. आखिर में अमित शाह और नड्डा की पीएम के साथ बैठक हुई, जिसमें दत्तात्रेय होसबले और सुनील बंसल भी शामिल रहे.

इसके बाद 24 मई की शाम को दत्तात्रेय होसबले और सुनील बंसल लखनऊ पहुंच थे, जहां दोनों नेताओं ने अलग-अलग बैठक की थी. सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने आरएसएस के यूपी पदाधिकारियों के साथ बातचीत कर बीजेपी और संघ परिवार के संगठनों के बारे में फीडबैक लिया है और 26 मई को वापस लौट गए. हालांकि, लखनऊ के दो दिन के प्रवास के दौरान न तो होसबले की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और न ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह समेत किसी प्रमुख राजनेता से मुलाकात हुई.

दत्तात्रेय होसबले के लौटने के दूसरे दिन 27 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के साथ ही प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं काफी तेज हो गई थी, क्योंकि मौजूदा समय में सूबे में कुल 53 मंत्री हैं जबकि मंत्रिमंडल में 60 मंत्री हो सकते हैं. ऐसे में सात मंत्रियों का स्थान रिक्त है. हालांकि प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट करार दिया था. वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और प्रदेश के पार्टी प्रभारी राधा मोहन सिंह यूपी के तीन के दौर पर 31 मई को लखनऊ पहुंचे थे.

इस दौरान बीजेपी के दोनों ही केंद्रीय नेताओं ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा के साथ-साथ योगी सरकार के करीब एक दर्जन मंत्रियों के साथ वन-टू-वन बंद कमरे मुलाकात कर फीडबैक लिया. इस दौरान केंद्रीय नेताओं ने सभी मंत्रियों से पूछा कि यदि अभी की परिस्थितियों में यूपी विधानसभा के चुनाव होते हैं तो नतीजे क्या होंगे? बीजेपी की स्थिति क्या होगी? इसके अलावा यह भी पूछा गया कि पार्टी के विधायक योगी सरकार से नाराज क्यों हैं? यूपी की सियासत में पिछले चार सालों में पहली बार यह था जब कोई केंद्रीय नेता सीएम योगी आदित्यनाथ की गैर-मौजूदगी में अलग-अलग मंत्रियों के साथ बातचीत किया हो.

31 मई को रात में बीएल संतोष और राधा मोहन सिंह मुख्यमंत्री आवास पर शाम को योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक की और साथ में डिनर भी किया. इस तरह सरकार और संगठन दोनों के साथ बैठक कर सियासी मिजाज को समझने की कवायद की, जिसके बाद बड़े फेरबदल किए जाने की चर्चाएं तेज हो गई. यूपी की सियासी थाह लेने के बाद बीएल संतोष और राधा मोहन सिंह दिल्ली लौटने से पहले ही कोरोना से निपटने के मामले में यूपी सरकार और सीएम योगी के कामों की तारीफ की. राधा मोहन सिंह तो सरकार में किसी तरह के बदलाव की चर्चाओं को अटकलबाजी बताते हुए ‘ऑल इज वेल’ का संदेश देने की कवायद करते नजर आए. वहीं, दिल्ली में आरएसएस की तीन दिन की बैठक 3 जून से शुरू हुई थी, जिसमें सर संघचालक मोहन भागवत, सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबले समेत संघ के सभी प्रमुख पदाधिकारी शामिल रहे, बैठक में पश्चिम बंगाल की मौजूदा स्थिति और कोरोना को लेकर उत्पन्न स्थिति पर चर्चा हुई.

इसके अलावा यूपी की राजनीतिक स्थिति पर गंभीर चिंतन मनन हुआ. संघ नेतृत्व ने सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबले और बीजेपी के संगठन महासचिव बीएल संतोष की हाल ही में की गई लखनऊ यात्राओं के बाद दी गई रिपोर्ट पर विचार विमर्श हुआ. बीजेपी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने लखनऊ दौरे पर पार्टी के तमाम नेताओं और योगी सरकार में मंत्रियों के साथ फीडबैक लिया था, उसकी रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को भी सौंपी. 5 और 6 जून को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा कर घर पर एक बैठक हुई, जिसमें अगले साल होने वाले पांच राज्यों के चुनाव पर मंथन किया गया. इस बैठक में पीएम मोदी, जेपी नड्डा, बीएल संतोष और अरुण सिंह समेत कई राष्ट्रीय महासचिव शामिल थे. इस दौरान उत्तर प्रदेश की मौजूदा स्थिति को लेकर खास चर्चा की गई. वहीं, 6 जून को ही बीजेपी के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह ने यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की और उन्हें एक बंद लिफाफा सौंपा.

राधा मोहन और राज्यपाल की मुलाकात से सियासी अटकलों का बाजार और गर्म हो गया. हालांकि, राज्यपाल से मुलाकात के पहले ही योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलों को राधा मोहन सिंह ने खारिज कर दिया. उन्होंने राज्यपाल के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष से भी मुलाकात की थी. राधा मोहन सिंह ने कहा था कि कुछ लोग अपनी ही खेती बोते और काटते हैं. सरकार और संगठन मिलकर अच्छा काम कर रहे हैं. मंत्रिमंडल में जो पद खाली हैं, वो भरे जाएंगे. खाली पदों पर मुख्यमंत्री निर्णय लेंगे. उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में हमारे बहुत से कार्यकर्ता जीते हैं. संगठन और सरकार अच्छी तरह चल रहे हैं. कुछ सीटें खाली हैं जिसे लेकर उचित समय पर मुख्यमंत्री निर्णय लेंगे. साथ ही उत्तर प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा है कि ”योगी जी जैसा मुख्यमंत्री कोई नहीं है. योगी जी जितना किसी ने काम नही किया. इससे पहले की सरकारें सभी ने देखी हैं जो प्रदेश को लूट लेते थे योगी जी की सरकार में कानून का राज है.” मंत्रिमंडल में नए चेहरों के शामिल करने पर स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि अभी तक 20 हजार पदों पर कार्यकर्ताओं को रखा गया है, जितने भी पद खाली हैं उन्हें जल्द ही भरा जाएगा. वहीं, बीजेपी नेताओं ने साफ कहा कि 2022 का चुनाव फिर एक योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में लड़ा जाएगा.