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उत्तराखंड में रेड अलर्ट जारी: तेज आंधी से उड़ी मकान की छत गिरे पेड़ हाईवे किया बंद

राजधानी देहरादून में शनिवार तड़के करीब चार बजे खूब तेज आंधी चली। जिससे शहर में कई जगह पेड़ गिर गए व कई इलाकों की बिजली गुल हो गई। आंधी के साथ ही बारिश भी हुई, जिससे गर्मी और उमस से कुछ राहत मिली।

वहीं राज्य के अधिकतर इलाकों में शुक्रवार रात से शनिवार तड़के तक बारिश जारी रही। जिस कारण बदरीनाथ हाईवे गुलाबकोटी के बाद मलबा आने से बंद हो गया, जिसे सुबह साढ़े नौ बजे खोल दिया गया।

रुद्रप्रयाग जिले में तड़के हुई भारी बारिश से नरकोटा गांव में कई घरों में मलबा घुस गया। पानी के सैलाब को देख ग्रामीण जान बचाकर भागे। दूसरी तरफ खेड़ाखाल में पहाड़ी का हिस्सा टूटने से एक घर में मलबा घुस गया। ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग घोलतीर के पास भूस्खलन के कारण बंद पड़ा है।

कर्णप्रयाग के पास सिमली में सड़क पर मलबा आ गया है। जिसे जेसीबी द्वारा हटाया जा रहा है। बड़कोट में शुक्रवार रात आए तेज तूफान की वजह से तहसील क्षेत्र के नगाणगांव में एक घर की छत उड़ गई। किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।

वहीं कुमाऊं की बात करें तो यहां पिथौरागढ़ घाट सड़क पर मीना बाजार के पास मलबा आने से मार्ग बंद हो गया है। पिथौरागढ़-धारचूला मार्ग बंद है। चंपावत जिले में बारिश के कारण मलबा आने से पूर्णागिरी मार्ग भी बंद पड़ा है।

यहां स्वांला के पास मलबा आ गया है। जिस कारण टनकपुर-पिथौरागढ़ हाईवे भी बंद हो गया है। शनिवार की सुबह से मसूरी, ऋषिकेश, हरिद्वार सहित अधिकतर इलाकों में बादल छाए हुए हैं। बारिश होने की संभावना बनी हुई है। रुड़की में देर रात तेज आंधी के बाद से रुक-रुक कर बारिश हो रही है।

कहीं-कहीं आज बहुत भारी बारिश की संभावना
पौड़ी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल, और चंपावत जैसे जिलों में कहीं-कहीं आज बहुत भारी बारिश की संभावना है। वहीं हरिद्वार, अल्मोड़ा, ऊधमसिंहनगर, रुद्रप्रयाग, देहरादून और टिहरी जैसे जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश की संभावना मौसम विज्ञानियों ने जताई है। इन जिलों में रेड अलर्ट भी जारी किया गया है।

इतना ही नहीं मौसम विभाग की ओर से चेतावनी जारी की गई है कि इन जिलों में छोटी नदियों, नालों के समीप रहने वाले लोगों को थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है। मौसम विभाग की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक मौसम के बदले मिजाज के चलते राज्य के मैदानी इलाकों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाओं के चलने की भी संभावना है।

राज्य में कहीं-कहीं आकाशीय बिजली गिरने के साथ ही तेज बौछार पड़ने की संभावना है।

पहाड़ी से गिरा मलबा, चीन सीमा से संपर्क कटा
मूसलाधार बारिश से पिथौरागढ़ को चीन सीमा से जोड़ने वाली घट्टाबड़-लिपुलेख और गुंजी-कुटी-ज्योलिंकांग सड़क पर भारी मात्रा में मलबा आ गया। इससे चीन सीमा से संपर्क कट गया है। बीआरओ सड़क खोलने का प्रयास कर कर रहा है।

अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ हाईवे भी शुक्रवार सुबह बाटुली और आरतौला-पनवानौला के बीच दो स्थानों पर मलबा आने से करीब तीन घंटे बंद रहा। कपकोट, गरुड़, दुगनाकुरी और कांडा क्षेत्र में शुक्रवार सुबह चार बजे से करीब दो घंटे तक जमकर बारिश हुई। धरमघर-माजखेत, कपकोट-कर्मी-तोली, शामा-नौकुड़ी, रिखाड़ी-वाछम और कपकोट-कर्मी-बघर सड़क मलबा आने से बंद हो गईं। सूचना मिलने के बाद संबंधित एजेंसियों ने जेसीबी से मलबा हटाया।

वहीं, अल्मोड़ा के बजेल और पाया गांव में कृषि भूमि, पेयजल योजना और पैदल रास्तों को क्षति पहुंची है। मिरई गांव में एक मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुआ है। मूनाकोट में काली नदी का जलस्तर बढ़ने से सैकड़ों नाली भूमि काली नदी में समा गई है। भूकटाव के कारण मूनाकोट को भी खतरा हो गया है।

एक घंटा पहले मिलेगी जलस्तर बढ़ने की सूचना
आगामी मानसून के मद्देनजर सभी विभाग अपनी सूचनाएं समय से साझा करें। नदियों के जल स्तर बढ़ने का अनुमान अगर एक घंटे पहले मिलेगा तो निश्चित तौर पर तटवर्ती व निचले क्षेत्रों में इससे नुकसान को रोका जा सकेगा। सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरूगेशन ने विभिन्न विभागों की बैठक में यह निर्देश दिए।

उन्होंने ने सभी डैम अथॉरिटीज एवं संबंधित विभागों के अधिकारियों के बीच परस्पर समन्वय स्थापित करते हुए नदी के जल स्तर संबंधित इनफ्लो-आउटफ्लो डाटा के लगातार साझा करने पर बल दिया। वर्चुअल बैठक के दौरान सचिव, आपदा प्रबंधन एवं सिंचाई विभाग ने कहा कि सभी डैम अथॉरिटीज के लिए नदी के किनारे अर्ली वार्निंग सेंसर्स स्थापित करना आवश्यक है।

वर्तमान में टीएचडीसी द्वारा ऐसे स्थानों पर अर्ली वार्निंग सेंसर पहले से ही स्थापित किए गए हैं, जिससे नदी का प्रवाह बढ़ने कि स्थिति में पहले ही खतरे की सूचना प्राप्त हो जाती है। सभी विभागों में अपसी सामंजस्य बढ़ाने के लिए और रियल टाइम इनफार्मेशन संबंधित विभागों के बीच ज्यादा से ज्यादा पहुंचे, इसी उद्देश्य से यह बैठक हुई।

सचिव ने केंद्रीय जल आयोग के पूर्वानुमान को साझा करने के बारे में जानकारी ली। साथ ही भारतीय मौसम विभाग से भी उत्तराखंड में आगामी मानसून एवं अतिवृष्टि संबंधित जानकारी ली। जल आयोग ने बताया कि नदी के डिस्चार्ज संबंधित डाटा लगातार फ्लड फोरकास्टिंग वेबसाइट पर साझा किया जाता है।

उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने बताया की मनेरी और टोंस जैसी नदियों के किनारों के जल स्तर की सूचना यदि जल आयोग एक घंटे पहले ही दे दे तो समय रहते नीचे के इलाकों में अलर्ट भेजा जा सकेगा। उन्होंने बताया की बरसात के दौरान 24 घंटे ड्यूटी वॉच करते हैं।